Mahashivratri 2025: हर साल की तरह इस साल भी महाशिवरात्रि के खास अवसर पर भक्त भगवान शिव की पूजा धूमधाम से करेंगे. उनकी पूजा में भांग, धतूरा और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है और उनकी पसंदीदा चीजों का भोग लगाया जाता है. ऐसे में एक फल ऐसा है, जिसके बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यताओं के अनुसार, यह फल है बेर. बेर के पत्तों का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं. मान्यता है कि बेर के पत्तों का इस्तेमाल करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइये जानते हैं आखिर क्यों चढ़ाया जाता है भगवन शिव को बेर का फल और क्या है इस फल का महत्व?
बेर के फल
बेर के फल भारत के प्राचीन फलों में से एक है, जिसके बारे में रामायण में भी बताया गया है. भारत के साथ ही चीन, यूरोप, रूस और कई देशों में यह फल उगाया जाता है. इसमें बहुत सारे पौष्टिक तत्त्व होते हैं, जो शरीर के इम्यून सिस्टम और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. इसके अलावा बेर खाने से लीवर की समस्याओं में भी राहत मिलता है.
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क्यों जरुरी है भगवान शिव को बेर का फल चढ़ाना
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव को बेर का ही भोग लगाती थी क्योंकि कैलाश पर्वत पर बेर अधिक मात्रा में पाए जाते थे. माता पार्वती को देखकर अन्य देवी देवताओं और ऋषि मुनियों ने भी भगवान शिव को बेर का भोग लगाना शुरू कर दिया. इसके बाद मानवों ने भी यह फल चढ़ाना शुरू कर दिया. भगवान भोलेनाथ को भी यह फल अत्यंत प्रिय हैं और बेर का फल उनके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. यह फल न केवल उनकी पूजा में इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि यह उनके लिए एक प्रिय भोग भी है.
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