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Malnutrition In Children: कुपोषण छीन न ले बच्चों से उनका बचपन, गर्भावस्था से ही रखना होगा पोषण का ख्याल

आबादी के लिहाज से दुनिया में पहले स्थान तक पहुंच चुके भारत में कुपोषण हमेशा से एक बड़ा संकट रहा है. वर्ष 2004 से 2006 के बीच भारत में करीब 24.78 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार थे. वर्ष 2019 से 2021 के बीच यह संख्या घटकर 22.43 करोड़ रह गयी, लेकिन अब भी बहुत काम बाकी है.

Malnutrition In Children: बच्चों में कुपोषण की समस्या एक बड़ी चुनौती है. अगर आंकड़ों के लिहाज से देखें तो देश में 5 वर्ष से कम उम्र के करीब 3 करोड़ बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. वहीं साल 2012 में यह आंकड़ा 5.2 करोड़ के लगभग था. यानी पिछले कुछ सालों में कुपोषण काफी हद तक कम जरूर हुआ है, लेकिन अब भी एक बड़ा तबका ऐसा है, जो जरूरी पोषण से वंचित है.

क्या हैं कुपोषण के कारण

छोटे बच्चों के शरीर के बेहतर विकास और पोषण के लिए उनके भोजन में संतुलित मात्रा में कुछ जरूरी पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर, लिनोलेइक एसिड, प्रोटीन और विटामिन की जरूरत होती है. जब बच्चों के शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, तो उनका विकास बाधित होने लगता है. ऐसे बच्चों की लंबाई और वजन सामान्य बच्चों के मुकाबले काफी कम रह जाती है. यही स्थिति कुपोषण का कारण बनती है.

कुपोषित बच्चे के लक्षण

सामान्य रूप से कुपोषण को पहचानना काफी मुश्किल है, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर मुख्य लक्षण के तौर पर थकान, चक्कर आना और वजन कम होना जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. इसके अलावा त्वचा पर खुजली और जलन होना, धड़कनों का असामान्य होना, लटकी और बेजान त्वचा, बार बार पेट और श्वसन तंत्र से संबंधित संक्रमण होना, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता, चिड़चिड़ापन और सूजन की समस्या जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं.

मां का पोषण भी है जरूरी

महिलाओं में भी कुपोषण और एनिमिया की समस्या काफी गंभीर है. खासकर 15 से 49 साल तक की महिलाएं इसकी ज्यादा शिकार होती हैं. यही वह उम्र होती है जब वो अपने बच्चे को इस दुनिया में लेकर आती हैं. प्रेग्नेंट महिलाओं को अपने भोजन में आयरन, कैल्शियम और फॉलिक एसिड जरूर लेना चाहिए. खजूर, गुड़, चना, डेयरी प्रोडक्ट्स, चिकन-अंडा, मुरमुरे, अनार, सेब, चीकू, पनीर व दाल का सेवन करें. खूब पानी पीएं और हर दो घंटे के अंतराल से कुछ न कुछ खाती रहें. इससे बच्चे को भी भरपूर पोषक तत्व मिलेगा और वह स्वस्थ होगा.

स्तनपान कराना है जरूरी

महिलाओं में पोषक तत्वों की कमी के कारण दूध का उत्पादन उचित मात्रा में नहीं हो पाता. ऐसे में वह अपने बच्चों को ठीक से स्तनपान नहीं करा पाती हैं. जन्म के बाद करीब छह माह तक नियमित रूप से बच्चे को सही तरीके से केवल स्तनपान कराकर बच्चों में कुपोषण की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. किसी कारणवश अगर मां बच्चे को दूध पिला पाने में असमर्थ है, तो डॉक्टरी सलाह से फॉर्मूला मिल्क पिलाया जा सकता है. छह महीने के बाद बच्चे को दूध के अलावा पतले चावल, दाल का पानी आदि देना शुरू कर दें. एक से डेढ़ साल तक के बच्चों को करीब 1000 कैलोरी की जरूरत होती है. दो साल की उम्र के बाद से बच्चों को चावल और साबूदाना की खीर और पिसे हुए पनीर को दलिया मिलाकर खिला सकते हैं. खजूर भी पोषण के लिहाज से काफी अच्छा है. इसमें मैग्नीशियन, आयरन, फास्फोरस और अन्य पोषक तत्व होते हैं. उम्र बढ़ने के साथ बच्चों को रोटी और हरी सब्जियां भी खिलाना शुरू कर दें.

बढ़ते बच्चों को कैसे मिले पोषण

बच्चों के सही पोषण और विकास के लिए उन्हें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, सी, ई, डी, कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर और लिनोलेइक और अल्फा लिनोलेइक एसिड से भरपूर भोजन देना चाहिए. उनके डेली डायट में सभी तरह के मौसमी फलों, हरी सब्जियों, साबुत अनाज, दालों और लो फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स को जरूर शामिल करें. बढ़ते बच्चों के डायट में कैल्शियम रिच फ़ूड जरूर शामिल करना चाहिए. क्योंकि यही वो वक़्त होता है जब शरीर कैल्शियम को स्टोर कर हड्डियों का विकास करता है. इस दौरान कैल्शियम रिच फ़ूड लेने से हड्डियों की मजबूती बुढापे तक बनी रहती है. जंक फूड न सिर्फ मोटापे के जोखिम बढाते हैं बल्कि माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी के कारण कुपोषण को भी बढ़ाने का काम करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को जंक फूड और फास्ट फूड से दूर रखते हुए उनके पोषक आहार को ही स्वादिष्ट बनाकर परोसने का प्रयास किया जाये. इन सबके अलावा बच्चों में समय समय पर डीवॉर्मिंग भी जरूरी है. बच्चों के पेट में होने वाले कीड़े भी उन तक सही पोषण को पहुंचने से रोकते हैं इसलिए उन्हें डॉक्टरी सलाह से समय समय पर पेट के कीड़े मारने की दवाएं देते रहनी चाहिए.

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Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

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