23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Mother’s Day 2024: ‘मां’ ने बना दिया महान

मां तो एक सागर की तरह है, जो सबकुछ अपने में समेटे अपने संतान की खुशहाली और तरक्की चाहती है. एक मां हमेशा अपने संतान की सलामती की दुआ करती है. पूरी दुनिया में मई महीने के दूसरे रविवार को मां को समर्पित मदर्स डे मनाया जाता है.

Mother’s Day 2024: मां के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. मां ही हैं, जो हमें इस संसार में लाती हैं, उंगली पकड़ कर चलना सिखाती हैं, हर कदम पर सहारा देकर मंजिल तक पहुंचाने में मदद करती हैं.

मां जीजाबाई ने जगाया शिवाजी में देशप्रेम का भाव

Shivaji And Jijabai
Mother's day 2024: 'मां' ने बना दिया महान 6

शिवाजी महराज में वीरता का भाव जगाने में इनकी माता जीजाबाई का बहुत बड़ा योगदान रहा. जीजाबाई के पिता निजाम के राज्य में मुख्य सरदार  थे. वहीं, उनके पति सांभाजी भी आलाम खान के यहां काम करते थे. जीजाबाई को मन में यह बात हमेशा खटकती थी कि हम दूसरों के अधीन क्यों काम करें. शिवाजी के लालन-पालन की जिम्मेदारी जब उनके कंधे पर आयी, तो उन्होंने तय कर लिया कि शिवाजी को स्वतंत्र ख्याल का इंसान बनायेंगे. धर्म व संस्कृति से जुड़ाव के लिए वह नन्हे शिवाजी को रामायण व महाभारत की कहानियां सुनातीं. उनके भीतर देशप्रेम की भावना जागृत करतीं. जीजाबाई खुद भी एक कुशल योद्धा और राजनीतिज्ञ थीं. अपने पति व बड़े पुत्र के मृत्यु की खबर से उन्हें धक्का जरूर लगा, पर उन्हें शिवाजी के शौर्य पर  विश्वास था. उनका सपना तब पूर्ण हुआ, जब शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की. शिवाजी की ताजपोशी के कुछ दिनों बाद ही जीजाबाई का देहांत हो गया. राजगढ़ किले के पास बसे गांव में उनकी समाधि है. यहां मौजूद मूर्तियों में जीजाबाई व शिवाजी के अनूठे प्रेम को दर्शाया गया है. महाराष्ट्र में आज भी जीजाबाई के नाम के लोकगीत गाये जाते हैं.

एडिसन को मां ने बना दिया एक महान वैज्ञानिक

Thomas Alba Edison
Mother's day 2024: 'मां' ने बना दिया महान 7

थॉमस अल्वा एडिसन जब प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थी थे, तो पढ़ाई में बेहद कमजोर थे. अक्सर उनके शिक्षक उनकी कमजोरी के बारे में उनकी मां नैनसी एडिसन से शिकायत करते रहते थे. काफी प्रयास के बाद भी जब थॉमस में कोई सुधार नहीं हुआ, तो निराश शिक्षक ने उन्हें स्कूल से निकालने की सूचना वाला पत्र एक बंद लिफाफा में थॉमस एडिसन के हाथ में ही देकर घर भेज दिया. घर आकर उन्होंने वह लिफाफा अपनी मां को दिया और बताया- मेरे शिक्षक ने इसे दिया है और कहा है कि इसे अपनी मां को ही देना. मां ने लिफाफा खोलकर देखा, अंदर पत्र था. पत्र पढ़कर मां की आंखों में आंसू आ गये और वह रोने लगीं. जब एडिसन ने मां से पूछा कि इसमें क्या लिखा है? तो सुबकते हुए आंसू पोछ कर वह बोलीं- इसमें लिखा है कि आपका बच्चा जीनियस है, हमारा स्कूल छोटे स्तर का है और शिक्षक बहुत प्रशिक्षित नहीं हैं, इसे आप स्वयं शिक्षा दें. इसके बाद मां उन्हें खुद पढ़ाने लगीं. इस घटना के कई वर्ष बीत गये. इस बीच उनकी मां का निधन हो गया. एक दिन वह पुरानी चीजों को खोज रहे थे, तो आलमारी के एक कोने में वही चिट्ठी मिली, जिसे उनके शिक्षक ने स्कूल की ओर से उन्हें दिया था. उसमें लिखा था- आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर बेहद कमजोर है. उसमें सुधार के कोई लक्षण नहीं हैं. उसकी उपस्थिति से बाकी बच्चों की भी पढ़ाई प्रभावित होने का खतरा है. पत्र पढ़ कर एडिसन आवाक रह गये और घंटों रोते रहे. उन्हें अपनी मां की सकारात्मक शक्ति और अपने जीवन में आये बदलाव के कारण का ज्ञान हो चुका था. उन्होंने इस घटना को अपनी डायरी में लिखा और अंत में लिखा कि एक महान मां ने बौद्धिक तौर पर कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया.

गांधीजी को महात्मा बनाने में मां का था अहम योगदान

Gandhi
Mother's day 2024: 'मां' ने बना दिया महान 8

महात्मा गांधी की दृढ़ इच्छशक्ति से तुम सभी वाकिफ हो. उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चल कर दुनिया की सबसे मजबूत शक्ति को हारने पर विवश कर दिया. उनके इस आचरण व साहस के पीछे उनकी माता पुतलीबाई के पालन की भी झलक मिलती है. गांधी जी की माता अपने परिवार के प्रति पूरी तरह समर्पित थी. भले ही वे कमजोर दिखती थीं, पर उनके आंतरिक बल का कोई सानी नहीं था. वे बड़े ही धार्मिक प्रवृति की थीं और हफ्ते में कई दिनों तक उपवास रखती थीं. एक बार उन्होंने प्रण लिया कि शाम तक कोयल कूकने के बाद ही अन्न ग्रहण करूंगी. मां को भूखा देख बालक गांधी का मन द्रवित हो उठा और उन्होंने कोयल की आवाज निकाल दी. जब इस झूठ के बारे में उन्हें पता चला तो वे क्रोधित हुईं और कहा- मैंने क्या पाप किया कि मुझे झूठा लड़का प्राप्त हुआ. गांधीजी ने माफी मांगी और कभी झूठ न बोलने की कसम खायी. विदेश जाने से पहले भी उन्होंने अपनी मां को वचन दिया कि वे शराब, मांस, गलत संगति से दूर रहेंगे. स्वतंत्रता की लड़ाई में भी उन्होंने उपवास, सेवा और आत्मिक बल का दामन नहीं छोड़ा, जो उन्होंने अपनी मां को सदैव करते हुए पाया था. यकीनन गांधीजी को महात्मा बनाने का कुछ श्रेय तो उनकी माता को भी जाता है.

मार्टिन लूथर किंग को मां ने अत्याचार से लड़ना सिखाया

Martin Luther
Mother's day 2024: 'मां' ने बना दिया महान 9

मार्टिन लूथर किंग जूनियर रंग के आधार पर किये जाने भेदभाव के खिलाफ लड़ने वाले नेता थे. उन्होंने सभी को समान हक दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया था. मार्टिन का अपनी माता अलबर्टा किंग से बेहद लगाव था. वे मानते थे कि उनके चरित्र व जीवन में उनकी मां का सकारात्मक प्रभाव रहा है. उन्होंने अपनी मां के बारे में लिखा भी है- वह दुनिया की सबसे अच्छी मां है. शांत स्वभाव की अल्बर्टा  चर्च में महत्वपूर्ण पद पर थीं. वह एक प्रशिक्षित शिक्षिका व संगीतकार थीं. वह चर्च में अपनी भूमिका निभाने के साथ शिक्षण कार्य भी करती थीं, पर उस समय शादीशुदा महिलाओं को स्कूल में पढ़ाने की इजाजत नहीं थी. वह रंगभेद को दूर करने और महिलाओं को प्रगतिशील बनाने वाली संस्थाओं से भी जुड़ीं. उन्होंने बचपन में ही अपने बच्चों के अंदर स्वाभिमान से जीने की सीख दी. उनके इन मूल्यों ने ही उनके पुत्र को आमानवीय रंगभेदी अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने की शक्ति प्रदान की. सिविल राइट्स की स्थापना में मार्टिन लूथर किंग जूनियार का योगदान स्मरणीय रहेगा.

Also Read: Mother’s Day: कब और क्यों मनाया जाता है मदर्स डे, जानें कुछ अनूठी व कुछ अनजानी बातें

Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel