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World Brain Tumor Day 2024: क्या मोबाइल फोन पर बात करने से हो सकता है ब्रेन ट्यूमर? जानें इससे जुड़े मिथ

हर वर्ष 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे के रूप में मनाया जाता है. जैसे शरीर के अन्य भागों में कोशिकाओं की असामान्य व अनियंत्रित वृद्धि के कारण कैंसर पनपता है, ठीक वैसे ही मस्तिष्क की कोशिकाओं (जिन्हें न्यूरॉन्स कहा जाता है) में अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने से जो गांठ बन जाती है, उसे ब्रेन ट्यूमर कहते हैं.

World Brain Tumor Day 2024: मस्तिष्क स्थित जो ट्यूमर कैंसर रहित होते हैं,उन्हें बिनाइन ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है और जिन ट्यूमर्स में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि से गांठ पड़ जाती है उन्हें मैलिग्नेंट या ‘कैंसरस’ ब्रेन ट्यूमर कहते हैं.

मिथ : तमाम लोगों का मानना है कि सेल फोन या मोबाइल फोन का इस्तेमाल कालांतर में ब्रेन ट्यूमर का कारण बनता है.
तथ्य : यूनाइटेड किंगडम स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में हुए एक अध्ययन के अनुसार, अभी तक दुनियाभर में जो शोध हुए हैं, उनसे यह बात प्रमाणित नहीं होती कि मोबाइल फोन से ब्रेन ट्यूमर होता है. बावजूद इसके तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि लंबे समय तक विकिरण (रेडिएशन) के प्रभाव में रहने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में विकिरण रहित स्वच्छ पर्यावरण व वातावरण में रहना मानव स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यकर है.

मिथ : युवाओं को ब्रेन ट्यूमर नहीं होता.
तथ्य : ब्रेन ट्यूमर हर आयुवर्ग के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकता है. चाहे वे युवा हों, वयस्क या फिर बुजुर्ग. यहां तक कि नवजात शिशु या छोटे बच्चों में भी ब्रेन ट्यूमर के मामले सामने आते हैं.

मिथ : उम्र बढ़ने पर ब्रेन ट्यूमर के मामले भी बढ़ते जाते हैं.
तथ्य : ऐसा कुछ भी नहीं है. किसी भी व्यक्ति के जीवनकाल में मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा 1% से कम होता है.

संभव है ‌ब्रेन ट्यूमर से बचाव

फिलहाल किसी वैक्सीन या दवा से ब्रेन ट्यूमर से बचाव संभव नहीं है. इस संदर्भ में हेल्थ एक्सपर्ट्स स्वास्थ्यकर जीवनशैली की बात करेंगे. यह सही है कि स्वास्थ्यकर जीवनशैली- जैसे नियमित व्यायाम और उचित, पौष्टिक, संतुलित खान-पान एवं जीवन के प्रति सकारात्मक सोच से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतरीन किया जा सकता है. धूम्रपान, शराब व अन्य नशे की लत से दूर रहकर आप काफी हद तक स्वस्थ बने रह सकते हैं, लेकिन ये सब बातें प्राइमरी ब्रेन टयूमर्स से बचाव के संदर्भ में लागू नहीं होतीं. हां तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि सेकंडरी ब्रेन ट्यूमर्स (मेटास्टैटिक या मेटास्टेसिस) को परोक्ष रूप से स्वास्थ्यकर जीवनशैली पर अमल कर रोका जा सकता है. जैसे फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण धूम्रपान है. अब अगर कोई शख्स धूम्रपान की लत से दूर हैं, तो उसे लंग्स कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है. इसी तरह अल्कोहल से परहेज कर लिवर कैंसर से बचाव किया जा सकता है.

क्या होता है सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर

सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर्स वे होते हैं, जो शरीर के अन्य भागों में होने वाले कैंसरों, जैसे- फेफड़ों, लिवर, किडनी और ब्रेस्ट आदि के जरिये कालांतर में मस्तिष्क में ब्रेन ट्यूमर के रूप में पनपते हैं.

(न्यूरो सर्जन डॉ अक्षत कयाल से बातचीत पर आधारित)

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Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

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