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खुश रहना है? तो ओशो के इन 3 फार्मूले को जिंदगी में जरूर करें शामिल, टेंशन मुक्त रहेंगे हमेशा

Osho Quotes: अगर आप सच्चे अर्थों में खुश रहना चाहते हैं तो ओशो के ये 3 नियम अपनाएं. जानें स्वीकृति, जागरूकता और प्रेम का जीवन में क्या महत्व है.

Osho Quotes: इस दुनिया में अगर इंसान किसी चीज की चाह में भाग रहा है तो वह है खुशहाल जीवन. क्योंकि बढ़ते मानसिक तनाव और तेज रफ्तार वाली जिंदगी में लोग इसी की तलाश भाग रहे हैं. लेकिन हर कुछ रहते हुए भी वह खुश नहीं है. क्योंकि उन्हें इसका फार्मूला नहीं पता है. लेकिन हजारों साल पहले आध्यात्मिक गुरु ओशो ने जीवन जीने का तरीका बता दिया था. अगर हम उनके बताए गये दिशा में से तीन चीजों को आत्मसात कर लिये तो उसे खुश रहने से कोई नहीं रोक सकता है. ओशो का मानना था कि खुशी किसी उद्देश्य या मंजिल में नहीं, बल्कि जीवन के हर पल को जागरूकता के साथ जीने में है. उनके अनुसार खुशहाल जीवन के लिए हमें केवल तीन मूल नियमों को अपनाने की जरूरत है. आइए जानते हैं वो क्या है.

स्वीकारना सीखें

जिंदगी में अपने आपको वैसा ही स्वीकार करना चाहिए जैसे वह है. क्योंकि ओशो का कहना था कि इंसान को जिंदगी बदलने से पहले उसे स्वीकारना सीखवा चाहिए. जब वह किसी चीज से संघर्ष करते है, तो और अधिक मजबूत बन जाता है. ओशो का कहना था कि कई बार हम जीवन की स्थितियों को बदलने की कोशिश में दुखी रहते हैं. लेकिन अगर हम लोगों, परिस्थितियों और खुद को जैसा हैं, वैसे ही स्वीकार करना सीख लें तो अंदर से तनाव कम होने लगता है. यही स्वीकृति अंत में परिवर्तन की राह भी खोलती है. इसलिए जैसा है, उसे बिना शर्त स्वीकार कर लेना ही आंतरिक शांति की शुरुआत है.

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हर पल को पूरी तरह जीने में ही खुशी है

ओशो ने इंसान को जागने के लिए कहा है. उनका तर्क था कि जो सुंदरता है, वह इसी क्षण में है.” उनका सपष्ट मत था कि पिछले कल का पछतावा और आने वाले कल की चिंता दोनों ही दुख का कारण हैं. जो व्यक्ति वर्तमान को पूरी जागरूकता के साथ जीता है, वही असली अर्थ में जीवित होता है. जब आप खाना खा रहे हों, तब केवल खाना खाइए. जब चल रहे हों, तब चलने में ही ध्यान दें.

बिना शर्त प्रेम करो, अपेक्षा नहीं

ओशो कहते हैं कि “प्रेम कोई व्यापार नहीं, बल्कि एक सौंदर्य है जो बिना शर्त बहता है.” हम अक्सर प्रेम में कुछ पाने की अपेक्षा करते हैं. लेकिन जहां अपेक्षा होती है, वहां स्वार्थ आता है और प्रेम समाप्त होने लगता है. उनका मानना था कि प्रेम त्याग नहीं, बल्कि पूर्णता की भावना है, जिसमें आप केवल देना जानते हैं. इसलिए सच्चा प्रेम वह है जो स्वतंत्रता देता है, न कि बंधन बनाता है.

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
A digital media journalist having 3 year experience in desk

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