Parenting Tips: वर्किंग पैरेंट्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है टाइम मैनेजमेंट की. सुबह उठते ही बच्चों के पीछे लग जाने के साथ साथ ऑफिस जाना बेहद मुश्किल काम है. काम का प्रेशर इतना रहता है कि कई ड्यूटी आवर भी कम पड़ जाती है. ऐसे में घर पर आकर बच्चों को संभालना, खाना बनाकर खिलाना होता है. लेकिन कुछ स्मार्ट टाइम मैनेजमेंट ट्रिक्स अपनाकर आप वर्क-लाइफ बैलेंस को बेहतर बना सकते हैं.
’24 भी कम हैं’- ये सिर्फ कहावत नहीं, हर वर्किंग पेरेंट की सच्चाई है
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में वर्किंग पैरेंट्स को दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है. एक तरफ ऑफिस की डेडलाइन्स, दूसरी तरफ बच्चों की जरूरतें. ऐसे में अक्सर गिल्ट, स्ट्रेस और थकान बीच में ही जाती है. लेकिन कुछ प्रैक्टिकल टाइम मैनेजमेंट टिप्स अपनाकर न सिर्फ आप बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकते हैं, बल्कि अपने करियर को भी नई ऊंचाई दे सकते हैं.
दिन की शुरुआत करें प्लानिंग से
सुबह उठते ही 10 मिनट अपने दिन की रूपरेखा बनाएं. कौन-कौन से काम जरूरी हैं? बच्चों के स्कूल, आपकी मीटिंग्स और घर के कामों को एक डायरी या ऐप में लिखें. इससे दिन में जल्दबाजी नहीं होगी और समय की बर्बादी बचेगी.
बच्चों को बनाएं रूटीन का हिस्सा
बच्चों को छोटे-छोटे काम सिखाएं. उन्हें बताएं आज के समय अपना काम स्वयं करना कितना जरूरी है. उन्हें समझाएं लोगों को हर काम आना क्यों जरूरी है. चाहे खाना बनाना या स्कूल बैग तैयार करना या फिर होमवर्क करना. इससे वे आत्मनिर्भर तो बनेंगे ही बल्कि आपका समय भी बचेगा
“क्वालिटी टाइम” को बनाएं “फोकस्ड टाइम”
हर दिन 30 मिनट बिना फोन या लैपटॉप के सिर्फ बच्चों के साथ बिताएं. चाहे वो कहानी सुनाना हो या फिर गेम खेलना. कोशिश करें कि बिजी शिड्यूल में भी टाइम निकालकर उनके साथ ही खाना खाएं. इससे बच्चे को लगेगा कि आप पूरी तरह उनके साथ हैं, भले ही समय कम हो.
वर्क और होम का क्लियर डिमार्केशन करें
वर्क फ्रॉम होम हो या ऑफिस, एक सीमारेखा बनाएं. ऑफिस का काम एक निश्चित समय और स्थान तक सीमित रखें. बच्चों को बताएं कि जब “मम्मी-पापा काम कर रहे हैं”, तब उन्हें कैसे बिहेव करना है.
हफ्ते में एक ‘फैमिली डे’ तय करें
हर हफ्ते एक दिन सिर्फ फैमिली के लिए रिजर्व करें. कहीं घूमने जाएं, मूवी देखें या घर पर पिकनिक प्लान करें. इससे बच्चों में एक इमोशनल कनेक्शन बना रहता है.
“गिल्ट फीलिंग” से बाहर आएं
वर्किंग पैरेंट्स अक्सर खुद को दोषी महसूस करते हैं कि वे बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. लेकिन याद रखें आप उनके लिए एक इंस्पिरेशन हैं. उन्हें ये दिखा रहे हैं कि कैसे जिम्मेदारियां निभाई जाती हैं.
टेक्नोलॉजी का स्मार्ट इस्तेमाल करें
रिमाइंडर, शॉपिंग ऐप्स, क्लाउड नोट्स और कैलेंडर टूल्स का इस्तेमाल करें ताकि आप कुछ भी न भूलें. बच्चों के स्कूल प्रोजेक्ट्स और मेडिकल अपॉइंटमेंट्स को भी डिजिटल ट्रैक करें.
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