Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन नई ऊंचाइयों को छू रही है. सोशल मीडिया की दुनिया में उनकी उपस्थिति इतनी मजबूत है कि जैसे ही आप रील्स स्क्रॉल करते हैं, उनकी किसी न किसी प्रेरणादायक वीडियो से सामना होना तय है. देश ही नहीं, विदेशों से भी हज़ारों श्रद्धालु उनके दर्शन और सत्संग का लाभ लेने आते हैं. प्रेमानंद जी महाराज के भक्त ने एक बार पूछा कि लाभ और लालच की हित के लिए दूसरे के लाभ या हित की अनदेखी कर सकते हैं या नहीं. इस सवाल को एक्सिस बैंक के प्रेसिडेंट ने पूछा था, जिस पर प्रेमानंद जी का जवाब हर इंसान को सुनना चाहिए. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
दूसरों की भलाई के साथ अपना लाभ
प्रेमानंद जी महाराज ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि व्यापार में हर व्यक्ति लाभ कमाने की आशा रखता है. हालांकि, बैंकों को एक निश्चित रूप से लाभ कमाना चाहिए. लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बैंक में आने वाले व्यक्तियों को नुकसान न हो. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य को इस सोच के साथ काम करना चाहिए कि दूसरों की भलाई के साथ अपना भी लाभ हो. ऐसे में अगर मनुष्य सिर्फ अपना लाभ देखेगा, तो सामने वाले को हानि होना लाजमी होगा. लेकिन अगर सामने वाले का लाभ देखकर काम करेंगे, तो खुद को भी लाभ होगा.
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होगा समाज का कल्याण
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यह बात सिर्फ बैंक मैनेजर के लिए ही नहीं है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है, जो कि बड़े पदों पर रहकर काम कर रहे हैं. ऐसे व्यक्तियों को अपने पद और कर्तव्य और दायित्वों का ज्ञान होना चाहिए, क्योंकि बड़े पदों पर बैठने वाला इंसान अगर अपने कर्तव्यों को निभाने में कामयाब हो जाता है, तो उससे न सिर्फ एक व्यक्ति का बल्कि पूरे समाज का कल्याण होगा.
बहुत शांत और सधे तरीके से देते हैं जवाब
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है. अक्सर देखा गया है कि जीवन की उलझनों और मानसिक उथल-पुथल से जूझ रहे लोग जब उत्तरों की तलाश में होते हैं, तब वे प्रेमानंद जी महाराज के सान्निध्य में पहुंचते हैं. उनके सत्संग में भक्त खुलकर अपने मन की बात रखते हैं. चाहे वह भगवान को लेकर जिज्ञासा हो या जीवन की कोई कठिनाई. प्रेमानंद जी महाराज हर प्रश्न का उत्तर बहुत शांत और सधे हुए स्वर में देते हैं, जिससे न केवल समाधान मिलता है. साथ ही जीवन को सही दिशा भी मिलती है. उनकी वाणी में आत्मीयता है और उपदेशों में ऐसी सरलता कि हर व्यक्ति खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता है. यही कारण है कि वे कई लोगों के मार्गदर्शक बन चुके हैं.
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