24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

रिंकी झा ऋषिका की मैथिली कविताएं – समानांतर और ओ कहय चाहैत अछि बड्ड किछु

मधुबनी के ननौर गांव की रहने वाली रिंकी झा ऋषिका की दो मैथिली कविताएं प्रभात खबर दीपावली विशेषांक में प्रकाशित हुईं हैं. स्त्री पर केंद्रित इन दोनों कविताओं को आप भी पढ़ें.

मधुबनी के ननौर गांव की रहने वाली रिंकी झा ऋषिका की दो मैथिली कविताएं प्रभात खबर दीपावली विशेषांक में प्रकाशित हुईं हैं. स्त्री पर केंद्रित इन दोनों कविताओं को आप भी पढ़ें.

समानांतर

ओकरा भीतर अकूत इच्छा छै

प्रेम छै जीवनक प्रति, ताहू सँ दोबर

ओ सोचैत रहैत अछि सदिखन,

बड्ड किछु, कोनो नवकी सोचक संग

ओ अपन भीतर पाँखिकेँ समेटने

कोनो अवसरक तलाशमे रहैत अछि

नित्तो दिन, नित्तो राति, जे

कखनो-ने-कहियो, कोनो-ने-कोनो रूपें

हमरो समय आयत, आ जरूर आयत–

पाँखि पसारि मुक्त साँस लेबाक लेल,

असीम अकास जीबा लेल जरूर सँ जरूर

ओ बैसलि रहैत अछि

अपन पसिन्नक खिड़कीक अंदर

जतय सँ दूर तकक स्वप्न देखैत अछि

ओहि आँखि मे प्रकृति छै,

जाहि मे नदी छै

पंछीक कलरव छै

आ हाथमे अपन प्रिय लेखकक किताब

आ जाहिमे मंद-मंद बिहुँसैत नवल भविष्य

अहलभोरे एक कप चाह

स्टडी टेबल, आ कलमकेँ ठोर सँ दबाबैत

मनकेँ मने-मने दुलारैत ओ सोचैत रहैछ–

अपन पसिन्नक स्थान खिड़कीक अंदर सँ…

जोड़-घटावमे एहन माहिर,

कि अपन थोड़ेक-थोड़ेक स्वप्नक संग

जोड़ैत रहैत अछि किछु-किछु भविष्य…

मुदा ओकर स्वप्न कखनो नहि टूटैत छै

ओकर आँखि सँ बरखा होइत छै

तँ ओही आँखि मे फूल सेहो फुलाइत छै

दुखी होय, आकि खुशी, ओ

व्यक्त करैत रहैत अछि सभटा बात

अपन सब अनुभव, अपन सब आखरमे

ओ टिपैत रहैत अछि

मानव सभ्यताक क्रमिक इतिहास-बोध

ओ प्रेम सेहो

करय चाहैत अछि

भरिसक करितो होयत

किएक तँ ओ बुझैत अछि, जे

प्रेमक बिनु जीवन अपूर्ण होइत छै

मुदा से लीखब निरर्थक बुझैत अछि

ओ चाहैत अछि

प्रेमक लेल सभ सँ पहिने

अपन दूटा स्वतंत्र आ स्थिर पयर

ओ नहि चाहैत अछि बैसाखी जीवन

ओ चाहैत अछि निज अपन घर

जतय बैसिकेँ लीखि सकय

अपन स्वप्नक किछु नवल छंद

गाबि सकय नदी घाटी सभ्यताक

किछु छूटल आर कविता…

किछु छूटल आर समय-संदर्भ…

मुदा ई सब किछु ओ

स्वतंत्र भ’ केँ करय चाहैत अछि

ठीके ओ

बड मूडी अछि

जे सोचैत अछि

जाहि तरहें जीबय चाहैत अछि

ओतय ओ कृपा नहि,

समान भावें समानांतर रहय चाहैत अछि.

Also Read: पल्लवी झा की मैथिली कविताएं
ओ कहय चाहैत अछि बड्ड किछु

कहय चाहैत अछि बड्ड किछु

सब किछु, मुदा

कहि नहि पाबैत अछि किछु

साफ-साफ… राफ-साफ

आखर थरथराय लागैत छै

भाव कुंद भ जाइत छै

स्वरमे मरूभूमि उगि जाइत छै

उदास भ’ जाइत छै जीवन रंग

तहियो

कखनो काल

मोनक एकांतमे

अनुत्साह के अन्हार केँ फारैत कखनो

नदीकेँ तट पर बैसि खेलाय लागैत अछि

लहरक संग

तँ कखनो गाछक ठाढ़ि पर चढ़िकेँ

हिलाबैत-डोलाबैत रहैत अछि

उत्साहक तरंग केँ

फेर बिंदास दौड़य लागैत अछि

कोनो पार्कमे

लड़की

जीबय चाहैत अछि

तहियो खुलिकेँ

कहाँ जीबि पाबैत अछि लड़की

नहि जानि किएक

ओकरा पिछड़बाक ड’र रहैत छै सदिखन.

Also Read: रोमिशा की दो मैथिली कविताएं

रिंकी झा ऋषिका, संपर्क : ग्राम+पत्रआलय- ननौर, वाया-रुद्रपुर, जिला -मधुबनी, पिन कोड -847411, बिहार, ई-मेल : [email protected]

Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel