23.8 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Summer Season : लुक बदलने के साथ धूप से भी बचाते हैं हैट्स, गर्मियों में बढ़ जाती है काऊ बॉय हैट्स की मांग

गर्मियों के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में तेज धूप से बचने के लिए हैट यानी टोपी की याद आ ही जाती है. कब और कैसे हुई थी हैट पहनने की शुरुआत? इससे जुड़ी अन्य रोचक बातों को आप भी जानें.

Summer Season : हैट का इस्तेमाल हजारों साल से हो रहा है. तरह-तरह के सामाजिक आयोजनों, पर्व-त्योहारों आदि में लोग हैट (टोपी) का इस्तेमाल सदियों से करते आये हैं. इसे लोगों की सामाजिक हैसियत का पैमाना भी माना जाता था. आज भी सेना में हैट राष्ट्रीयता और रैंक के प्रदर्शन का बेहतरीन माध्यम है.

कब हुई थी हैट पहनने की शुरुआत

वैसे तो हैट पहनने की शुरुआत कबसे हुई इसकी कोई प्रामाणिक जानकारी अब तक नहीं है, लेकिन फिर भी इसे पहनने की शुरुआत आज से लगभग 5 हजार साल पहले हो चुकी थी. सबसे पहली हैट की तस्वीर मिस्र के शहर थेबेस में पाये गये एक कब्र की दीवार से मिली है. इसमें एक आदमी को दिखाया गया है, जिसने स्ट्रॉ से बनी हुई कोनिकल हैट पहनी है. यह तस्वीर लगभग 3200 ईसा पूर्व की है. प्राचीन मिस्र में हैट पहनना बेहद आम बात थी. खास आयोजनों के अलावा लोग आम दिनों में भी इसका प्रयोग करते थे.

समुद्री डाकू क्यों पहनते रहे हैं हैट

अगर नाविकों की बात की जाये तो हैट उनकी यूनिफॉर्म का हिस्सा होती है, लेकिन समुद्री डाकुओं को तो कोई यूनिफॉर्म पहननी नहीं होती फिर भी वे क्यों हमेशा हैट पहनते हैं? दरअसल, समुद्री वातावरण काफी कठोर होता है यहां लगातार नाविकों को धूप झेलनी पड़ती है. ऐसे में ये बड़े-बड़े हैट धूप से उनके सिर और चेहरे को बचाये रखते हैं. सीधी धूप दूर तक देखने में भी बाधा डालती है, जिससे ये हैट उनको बचाते हैं. यही वजह है कि भले ही उनके कपड़े फटे हों, उन्होंने जूते न पहने हों, लेकिन वे हैट जरूर पहनते हैं.

क्या है ‘ताज’ और ‘हैट’ का रिश्ता

देखा जाये तो ताज और हैट का आपस मे कोई संबंध नहीं है. हैट जहां हर कोई पहन सकता है, वहीं ताज या मुकुट केवल शासकों या देवताओं के लिए हुआ करते थे. इनके द्वारा वे अपनी ताकत, विजय और संपन्नता को प्रदर्शित करते थे. यह शासकों के सम्मान का भी प्रतीक माना जाता था. जिसके भी सर पर ताज हो उसे ही लोग शासक मानते थे. वहीं हैट पहनने से शासन का अधिकार भले ही न मिलता हो, लेकिन यह भी समाज में लोगों की सम्पन्नता को आंकने का एक जरिया जरूर है. नागालैंड में आज भी लोग हैट के जरिये ही सामाजिक हैसियत को दर्शाते हैं.

कैसे आया काऊ बॉय हैट का चलन

फिल्मों और कार्टून्स में अक्सर हीरो को काऊ बॉय की वेश भूषा में दिखाया जाता है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा इसकी हैट को लोगों ने पसंद किया है. काऊ बॉय का यह कॉन्सेप्ट मूलतः अमेरिका से आया है. वहां के कई हिस्सों में घास के विशाल मैदान पाये जाते हैं. जहां मवेशियों के लिए पर्याप्त चारा होता है. इन्हीं मैदानों में चरवाहे अपने मवेशियों को चराने के लिए लेकर आते हैं. ये चरवाहे काफी संपन्न होते हैं और इनके पास हजारों की संख्या में भेड़ बकरियां होती हैं. जिनका ध्यान रखने के लिए ये घोड़े पर सवार होकर उनकी रखवाली करते हैं. इन मैदानों में खुली धूप से बचने में ये हैट इनकी सहायता करते हैं. इन चरवाहों को ही वहां काऊ बॉय कहा जाता है, लेकिन इस हैट को वो और भी कई तरीके से इस्तेमाल में लाते हैं. तेज धूप के साथ ही यह उन्हें हवा के थपेड़ों, बारिश और बर्फबारी से भी बचाता है. इतना ही नहीं प्यास लगने पर वे इसमें अपने लिए और अपने घोड़े के लिए पानी भी भर कर ले आते हैं, तो है न बड़े काम की हैट! सबसे पहला काऊ बॉय हैट 1865 में जॉन बी स्टेटसन ने अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान डिजाइन किया था. स्टेटसन उस वक्त के सबसे प्रसिद्ध हैट निर्माता थे. उनके द्वारा डिजाइन किये गये काऊ बॉय हैट को ‘मैदानों का राजा’ कहा गया था.

Also Read : Summer Tips : चिलचिलाती गर्मी के मौसम में घर को ठंडा रखने के लिए आजमाएं ये प्राकृतिक तरीके

हैट से जुड़ी कुछ अन्य रोचक बातें

  • लंदन में चलने वाली ब्लैक टैक्सी को केवल इसलिए ऊंचा बनाया जाता था, ताकि इसमें बैठने वाले लोगों को अपना हैट न उतारना पड़े.
  • पनामा हैट का निर्माण आज तक कभी पनामा में नहीं किया गया. यह इक्वाडोर में बनाया जाता है.
  • पुरुषों का हैट सप्लाई करने वाले लोगों को हैटर्स और महिलाओं के हैट सप्लायर्स को मिलिनर्स कहा जाता है.
  • अमेरिका के उत्तरी डकोटा में एक अजीब कानून है, जिसके तहत जेलों में मौजूद कैदी हैट पहनकर डांस नहीं कर सकते. ऐसा करने पर उन्हें सजा दी जाती है. इसी तरह केंटुकी में एक आदमी तब तक हैट नहीं खरीद सकता, जब तक कि उसकी पत्नी उसके साथ न मौजूद हो.
  • पारंपरिक सफेद रंग की लंबी सी शेफ हैट में 100 प्लीट्स होते हैं. इसका अर्थ यह होता है कि शेफ को अंडे को 100 तरीकों से पकाना आता है.
Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel