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इस गांव में हर घर के सामने टांगा जाता है पुरुषों का प्राइवेट पार्ट, जासूस ज्योति मल्होत्रा भी जा चुकी है यहां

Bhutan Tourism, Bhutan Tourist Places: आप सभी ने कभी न कभी किसी वाहन में या दुकान के बाहर नींबू मिर्ची लटकते जरूर देखा होगा. जिससे किसी की बुरी नजर उसके व्यवसाय को न लगे. लेकिन क्या आपने कभी कोई ऐसा गांव देखा है जहां सभी लोग अपने घर के बाहर पुरुषों के प्राइवेट पार्ट जैसी […]

Bhutan Tourism, Bhutan Tourist Places: आप सभी ने कभी न कभी किसी वाहन में या दुकान के बाहर नींबू मिर्ची लटकते जरूर देखा होगा. जिससे किसी की बुरी नजर उसके व्यवसाय को न लगे. लेकिन क्या आपने कभी कोई ऐसा गांव देखा है जहां सभी लोग अपने घर के बाहर पुरुषों के प्राइवेट पार्ट जैसी आकृतियां टांगते हैं. जी हां ऐसा भूटान में स्थित चिमी ल्हाखांग मंदिर (Chimi Lhakhang Temple) के गांव में होता है. यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है. खास बात ये है कि पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार हुई ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) भी यहां जा चुकी है. इसका वीडियो यूट्यूब पर भी मौजूद है.

भूटान का चिमी ल्हाखांग मंदिर: एक अनोखी आस्था

भूटान के चिमी ल्हाखांग मंदिर, जिसे “फर्टिलिटी टेंपल” (प्रजनन मंदिर) भी कहा जाता है. यह भूटान के पुनाखा जिले में लोबेसा गांव में स्थित है. यह मंदिर लामा द्रुकपा कुनले को समर्पित है, जिन्हें स्थानीय लोग “डिवाइन मैडमैन” यानी ‘ईश्वरीय पागल’ के नाम से जानते हैं.

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क्या है इसके पीछे की कहानी

इस तरह की ख्याति मिलने की सबसे बड़ी वजह लामा द्रुकपा कुनले पारंपरिक धार्मिक शिक्षाओं को असामान्य, हास्यपूर्ण और प्रतीकात्मक तरीकों से सिखाते थे. इसके पीछे की कहानी ये है कि उन्होंने एक राक्षसी आत्मा को अपने “लिंग की शक्ति” से हराया था, जिसके बाद से उनके प्रतीक के रूप में लिंग का सांस्कृतिक महत्व बढ़ गया.

दीवारों पर लिंग की पेंटिंग क्यों?

चिमी ल्हाखांग के आसपास के घरों और दुकानों की दीवारों पर रंग-बिरंगी, सुंदर डिजाइनों वाली लिंग की पेंटिंग आम बात है. इसके अलावा मंदिरों के दरवाजों पर लकड़ी से उकेरे गए बड़े लिंग और छोटे लिंग के प्रतीक भी दिखाई देते हैं.

क्या है मान्यता

स्थानीय मान्यता के अनुसार ये प्रतीक न केवल प्रजनन क्षमता (fertility) को बढ़ाते हैं, बल्कि बुरी आत्माओं को दूर रखने और नकारात्मक ऊर्जा से घर की रक्षा करने में भी सहायक होते हैं.

संतान प्राप्ति के लिए आस्था का केंद्र

यह मंदिर खासकर उन दंपतियों के बीच प्रसिद्ध है जो संतान की प्राप्ति की कामना रखते हैं. हर साल हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यहां नवविवाहित महिलाएं या संतान की इच्छुक महिलाएं विशेष पूजा करती हैं. जिन माता-पिता को संतान प्राप्त हो जाती है, वे अपने बच्चों के नामकरण के लिए भी यहां आते हैं.

द्रुकपा कुनले और चिमी ल्हाखांग का इतिहास

चिमी ल्हाखांग मंदिर का निर्माण नवांग चोग्याल द्वारा करवाया गया था, जो 14वें द्रुकपा लामा माने जाते हैं. मंदिर के केंद्र में स्थित स्तूप को द्रुकपा कुनले के सम्मान में बनाया गया है. स्थानीय लोगों के मान्यताओं को मानें तो द्रुकपा कुनले ने एक भूत को हराने के लिए लिंग के आकार का डंडा बनाया और उसे मारकर एक स्तूप में दफना दिया. तभी से लिंग प्रतीक को दुष्ट शक्तियों को समाप्त करने और भलाई लाने वाला चिन्ह माना जाता है.

कैसे पहुंचे चिमी ल्हाखांग?

चिमी ल्हाखांग मंदिर पुनाखा से करीब 10 किलोमीटर दूर लोबेसा गांव में स्थित है.

यहां पहुंचने के दो प्रमुख रास्ते हैं

  • अगर आप प्राइवेट टैक्सी से जाते हैं तो थिंपू या पारो से आराम से जा सकते हैं. यहां से यह मंदिर जाने का रास्ता एकदम सीधा है.
  • आप चाहें तो लोकल बस में थिंपू या पारो से वांगडू तक जा सकते हैं. वांगडू से आपको टैक्सी लेकर मंदिर तक पहुंचना होगा.

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
A digital media journalist having 3 year experience in desk

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