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Kedarnath Yatra 2025: केदारनाथ यात्रा से पहले क्यों ज़रूरी हैं संकटमोचन हनुमान के दर्शन, जानिए

Kedarnath Yatra 2025: संकटमोचन मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी होती है. इसे लेकर एक विशेष धार्मिक महत्व भी है. दरअसल, हनुमान भगवान राम के परम भक्त हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम राम स्वयं भगवान शिव को पूजते थे. ऐसे में हनुमान और शिव भक्तों के बीच यह एक आध्यात्मिक सेतु बन जाता है. इस आर्टिकल में बनाते है कि केदारनाथ धाम के दर्शन से पहले लोग क्यों करते है हुनमान जी के दर्शन।

Kedarnath Yatra 2025: उत्तराखंड देवभूमि भारत की धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां स्थित चार धामों में से एक है केदारनाथ, जो कि भगवान शिव  को समर्पित है. हिन्दू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र स्थान माना गया है. केदारनाथ साल भर बर्फ की चादर ओढ़े रहता है, और सर्दियों में आम श्रद्धालुओं के लिए ये धाम बंद रहते है. लेकिन गर्मी के महीनों में जब केदारनाथ के पट खुलते हैं तो देश ही नहीं  विदेश से भी लोग यहां दर्शन करने जाते है. केदारनाथ की यात्रा गौरी कुंड से शुरू होती है. करीब 12 किलोमीटर पहले जब श्रद्धालु इस यात्रा को शुरू करते है तो उससे पहले यहां संकट मोचन हनुमान के दर्शन करने भी आते है. संकतमोचन मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी होती है. इसे लेकर एक विशेष धार्मिक महत्व भी है. दरअसल, हनुमान भगवान राम  के परम भक्त हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम राम स्वयं भगवान शिव को पूजते थे. ऐसे में हनुमान और शिव भक्तों के बीच यह एक आध्यात्मिक सेतु बन जाता है. इस आर्टिकल में बनाते है कि केदारनाथ धाम के दर्शन से पहले लोग क्यों करते है हुनमान जी के दर्शन।

क्यों जरूरी है संकटमोचन के दर्शन

केदारनाथ यात्रा से पहले श्रद्धालु उत्तराखंड या आस-पास के जगहों में स्थित संकटमोचन हनुमान के दर्शन जरूर करते हैं. इसके पीछे की वजह गहरी आस्था और आध्यात्मिक विश्वास छिपा है. हनुमान जी को संकटमोचन यानि संकट को हर्णे वाला देवता माना जाता है, कहते है कि केदारनाथ जैसे दुर्गम तीर्थ पर जानें से पहले संकटमोचन हनुमान कि आरधना करने से यात्रा में होने वाली सभी समस्याएं दूर हो जाती है. ऐसे में श्रद्धालुओं को हनुमान जी पर एक अटूट भरोश होता है कि वो उन्हें कुछ होने नहीं देंगे.   

कितना मुश्किल है केदारनाथ धाम का रास्ता 

केदारनाथ धाम समुद्रतल से लगभग 11,755 फिट कि ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड से करीब 17 किलोमीटर का कठिन ट्रेक पार करना होता है. इस मार्ग की ऊंचाई, ऑक्सीजन कि कमी, खराब मौसम और बर्फबारी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. केदारनाथ  के मुख्य यात्रा के पड़ाव पर श्रद्धालु यहां रुकते है और खाना खाते है. 

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"As a passionate lifestyle journalist, I specialize in capturing the essence of everyday living — from wellness trends and fashion insights to food, travel, and culture. With a keen eye for detail and a love for storytelling, I strive to bring inspiring, informative, and engaging content that connects with readers on a personal level. My goal is to explore how lifestyle choices shape our identity and influence the world around us, one story at a time.

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