Oldest National Park in India : वर्तमान में देश में कुल 106 नेशनल पार्क हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 1970 तक भारत में घोषित तौर पर 5 नेशनल पार्क ही अस्तित्व में थे. वर्ष 1972 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम लागू होने और 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत होने के बाद देश में 101 नेशनल पार्क स्थापित किये गये. लेकिन देश के सबसे पुराने नेशनल पार्क कौन से हैं और क्या है इसमें खास, यह जानकारी जुटा कर आप अपने बच्चों की छुट्टियों में उन्हें इन राष्ट्रीय उद्यानों की सैर करवा सकते हैं.
देश का सबसे पुराना नेशनल पार्क जिम कॉर्बेट

उत्तराखंड में स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, भारत का पहला नेशनल पार्क है. वर्ष 1936 में स्थापित किया गया यह नेशनल पार्क पहले हैली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था. वर्ष 1954 में इसे रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान नाम दिया गया और बाद में 1957 में इसका नाम प्रसिद्ध शिकारी से संरक्षणवादी बने जिम कॉर्बेट के नाम पर जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया. जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर पहल के अंतर्गत आने वाला पहला उद्यान था, जिसका उद्देश्य बंगाल टाइगर को संरक्षित करना था, जो विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहा था. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क को पर्यटन गतिविधियों के लिए आठ प्रमुख ईकोटूरिज्म जोन में विभाजित किया गया है. ये जोन हैं-ढिकाला, बिजरानी, झिरना, ढेला, दुर्गादेवी, सीताबनी, गर्जिया और फाटो जोन.सभी ईकोटूरिज्म जोनों में कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के वन अधिकारियों द्वारा सफारी टूर दो शिफ्टों में आयोजित किया जाता है. हर जोन अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से भी खास है और आपकी किस्मत अच्छी है, तो हिरणों, हाथियों के साथ आपको शेर में दिख सकता है. यहां जाने के लिए आपको दिल्ली से साढ़े पांच घंटे का 280 किलोमीटर का सफर तय कर रामनगर पहुंचना होगा. यात्रा शुरू होने से पहले ही आप तय कर लें कि आपको किस जोन में जाना और ठहरना है, तो आपका सफर आसान और आनंददायक हो जायेगा. रामनगर तक रेल मार्ग से भी जा सकते हैं.
एमपी का सबसे बड़ा नेशनल पार्क कान्हा टाइगर रिजर्व

लगभग 900 वर्ग किलोमीटर में फैला कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, जिसमें 1100 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन है, मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है. कहते हैं रुडयार्ड किपलिंग की ‘द जंगल बुक’ की प्रेरणा यही जंगल था. कान्हा नेशनल पार्क अपने विविध वन्यजीवों, विशेष रूप से बारहसिंगा (दलदली हिरण) के लिए प्रसिद्ध है, जिसे ‘कान्हा का रत्न’ भी कहा जाता है. इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1955 में हुई थी और बाद में इसे 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया. यह राष्ट्रीय उद्यान बाघों, तेंदुओं, हाथियों, गौर, जंगली कुत्तों और कई पक्षी प्रजातियों का घर है. इसके साथ ही अपने विशाल घास के मैदानों, घने साल और बांस के जंगलों और शांत बरसाती व छोटी पहाड़ी नदियों के लिए प्रसिद्ध है. कान्हा के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जबलपुर एवं गोंदिया हैं. जबलपुर, जो दिल्ली समेत कई शहरों से हवाई एवं रेल मार्ग से कनेक्ट है, पहुंच कर आप सड़क मार्ग से चार घंटे में कान्हा पहुंच सकते हैं. गोंदिया रेलवे स्टेशन से तीन घंटे लगते हैं. आप अगर नागपुर या रायपुर पहुंच कर सड़क मार्ग से यहां आना चाहेंगे, तो पांच घंटे लगेंगे.
लुप्तप्राय प्रजातियों की शरणस्थली मुदुमलाई

तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ों में स्थित राष्ट्रीय उद्यान मुदुमलाई कई लुप्तप्राय प्रजातियों की शरण स्थली के रूप में कार्य करता है. इस राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1940 में की गयी थी. 320 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला मुदुमलाई नेशनल पार्क जैव विविधता का केंद्र है. मुदुमलाई में मौसम पूरे साल सुहाना रहता है, लेकिन अक्तूबर से फरवरी के दौरान यहां आना सबसे अच्छा होता है. ऊटी से मुदुमलाई की दूरी लगभग 36 किलोमीटर है और राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचने में लगभग 1 घंटा लगता है. ऊटी से मुदुमलाई तक ड्राइव नीलगिरी के लुभावने परिदृश्यों से भरा है. कोयंबटूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है और ऊटी सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है.
महाराष्ट्र का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान ताडोबा

ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र राज्य का सबसे बड़ा और सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है. इस वन क्षेत्र को 1955 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. 626 वर्ग किलोमीटर में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान नागपुर से लगभग 150 किलोमीटर दूर चंद्रपुर जिले में स्थित है. इसे ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है और यह भारत में मौजूद 47 प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व में से एक है. इस नेशनल पार्क में दो झीलें और एक नदी है- ताडोबा झील, कोलसा झील और ताडोबा नदी, जो हर मानसून में भर जाती है और पार्क की लाइफ लाइन की तरह हैं.
रॉयल बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध नेशनल पार्क सरिस्का

रॉयल बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान भारत के राजस्थान के अलवर जिले में स्थित एक बाघ अभयारण्य है. यह अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है जो तांबे जैसे खनिज संसाधनों से बहुत समृद्ध है. वर्ष 1955 में नेचर रिजर्व तथा 1979 में नेशनल पार्क घोषित किये जाने से पहले यह कभी अलवर के महाराजा का शिकारगाह था. सरिस्का टाइगर रिजर्व अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों और घाटियों तथा हरियाली से घिरा हुआ है. सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के अंदर एक और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सिलीसेढ़ झील है, जो बड़ी संख्या में मगरमच्छों का घर है. सरिस्का हिंडौन से 106 किलोमीटर, जयपुर से 107 किलोमीटर और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
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