Valley of Flowers 2025 : प्रकृति प्रेमियों के लिए एक जीवंत जन्नत कही जानेवाली फूलों की घाटी 1 जून से खुल रही है. इस बार सरकार ने यहां जानेवाले ट्रेकर्स की सुविधा के लिए ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था की है. अभी तक पर्यटकों को ऑफलाइन पंजीकरण के लिए चमोली पहुंचकर घांघरिया में फॉर्म भरना पड़ता था. लेकिन, इस बार वन विभाग ने इसके लिए एक समर्पित पोर्टल शुरू किया है, जिससे पर्यटक फॉर्म भरकर ऑनलाइन शुल्क जमा कर सकेंगे. वेबसाइट यात्रा के दौरान ट्रेकर्स को रूट और मौसम के बारे में भी जानकारी देगी.
क्यों है यह जगह खास
वर्ष 2005 से यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए हर साल जून से अक्तूबर तक खोली जाती है, बाकी साल यह बर्फ से ढकी रहती है. फूलों की घाटी में घूमने के लिए जुलाई-अगस्त का समय सबसे अच्छा माना जाता है. फूलों की यह घाटी उच्च हिमालय के दुर्लभ और लुप्तप्राय फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों का एक मनोरम स्थल है. आप अगर धुंध से ढके रास्तों, फूलों के परिदृश्य और पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी चोटियों का को देखना चाहते हैं, तो अपना बैग पैक कर लें. नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के तहत आनेवाली इस घाटी की यात्रा का पहला चरण है इसके लिए ऑनलाइन परमिट हासिल करना.
यहां से ले सकते हैं परमिट
गढ़वाल हिमालय में स्थित इस खूबसूरत घाटी में जानें के लिए ऑनलाइन परिमट लेना अनिवार्य है. आप अगर इस बार यहां जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व की वेबसाइट https://valleyofflower.uk.gov.in/ में ऑनलाइन परमिट के लिए आवेदन करें और परमिट मिलने के बाद ही यात्रा शुरू करें. हालांकि, पर्यटकों के लिए घांघरिया में ऑफलाइन पंजीकरण व्यवस्था भी रहेगी. भारतीय नागरिकों के लिए पंजीकरण शुल्क 200 रुपये है, जबकि विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपये है. उत्तराखंड के पर्यटन विभाग और वन विभाग द्वारा चमोली के घांघरिया में पर्यटकों के ठहरने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं.
निकटतम रेलवे स्टेशन है हरिद्वार
फूलों की घाटी जानें के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार है, जहां से इसकी दूरी वाया रोड लगभग 285 किमी है. वहीं देहरादून में स्थित जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से यह जगह लगभग 292 किमी की दूरी पर है. हरिद्वार या देहरादून आपको सड़क मार्ग से गोविंदघाट पहुंचना होगा. गोविंदघाट से फूलों की घाटी का पैदल ट्रैक शुरू होता है, जिसमें पहला पड़ाव घांघरिया पड़ता है. यह एक मध्यम स्तर का ट्रेक है, जिसमें हेमकुंड साहिब तक सीधी चढ़ाई है. इस ट्रेक के लिए अच्छी तरह से तैयारी करें और यहां कभी भी अचानक हो जाने वाली बारिश से बचने की तैयारी भी रखें.
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