Tribal Communities: आदिवासी कौन है? इस प्रश्न का सभी लोग अलग अलग तरीके से व्याख्या करते हैं. महात्मा गांधी ने ट्राइबल को गिरिजन कहकर संबोधित किया है. वहीं, कई लेखों में इन्हें अत्विका भी कहा गया है. लेकिन इसका उत्तर चाहे जो भी हो लेकिन जब भी यह शब्द आता है तो लोगों के दिलो में उनके प्रति कई तरह छवि बनने लगती है. कई लोग आज भी इन्हें पिछड़पन की श्रेणी में रखते हैं, लेकिन जनजातीय समाज से एक सभ्य समाज को कई चीजें सीखनी चाहिए. दरअसल यह सवाल यूपीएससी के मॉक इंटरव्यू में भी पूछा भी गया था.
मॉक इंटरव्यू में आदिवासियों पर क्या सवाल पूछा गया था
सिविल सर्विस की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान दृष्टि कोचिंग सेंटर के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति ने एक बार सिविल सर्वेंट के अभ्यर्थी दीपक कुमार से इस संबंध में सवाल पूछा था. उनका प्रशन था कि आदिवासी समाज से सभ्य समाज को क्या सीखना चाहिए? ऐसी 5 बातें बताइए. इस सवाल का जवाब देते हुए अभ्यर्थी दीपक कुमार ने कहा था कि सबसे पहले लोगों को प्रकृति पूजी सीखना चाहिए, जो वनस्पतियों की पूजा करते हैं.
अभ्यर्थी दीपक कुमार ने क्या दिया था जवाब
दूसरी बात दीपक कुमार ने कहा कि आदिवासियों से उनकी संस्कृति की सभ्यता है उसके बारे में सीखना चाहिए. तीसरे प्वॉइंट्स में उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के अंदर जो लैंगिक समानता का पक्ष है, उसे सीखना चाहिए. चौथी चीज लोगों को पारंपरिक आयुर्वेद जैसी जो चीजें हैं यानी कि ट्राइबल मेडिसेन के बारे में सीखना चाहिए. पांचवा चीज है कि हम कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाए, अपनी जो जमीन और संस्कृति उसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए.
लेखक जावेद अख्तर ने भी की थी आदिवासियों के जीवन शैली की तारीफ
मशहूर लेखक जावेद अख्तर ने भी एक रांची में आयोजित टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट के एक कार्यक्रम में कहा था कि जीवन मूल्यों के बारे में हमें आदिवासियों से सीखना चाहिए. प्रकृति के प्रति उनके मन में जो श्रद्धा है, उनके मन में जो समर्पण है, उससे हमें सीखना चाहिए. आदिवासियों ने प्रकृति के संरक्षण में बड़ा योगदान दिया है. वे जहां भी रहते हैं, प्रकृति के बीच रहते हैं और उसका संरक्षण करते हैं.