Veer Savarkar Quotes in Hindi: कौन थे वीर सावरकर?
Veer Savarkar biography in Hindi | वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक जिले के भागुर गांव में हुआ था. उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था. वे केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं बल्कि एक लेखक, कवि, समाज सुधारक और राष्ट्रभक्त भी थे. उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई को केवल अंग्रेजों से लड़ाई तक सीमित नहीं रखा, बल्कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और रूढ़ियों के खिलाफ भी आवाज उठाई.
सावरकर ने इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान भारत की आजादी के लिए युवाओं को जागरूक किया. 1909 में उन पर अंग्रेज अधिकारी की हत्या का आरोप लगा और उन्हें कालापानी की सजा देकर अंडमान की सेलुलर जेल में डाल दिया गया. वहां की कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने हार नहीं मानी और भारत माता की सेवा का संकल्प बनाए रखा.
Veer Sawarkar Ideology: क्रांतिकारी विचारधारा
वीर सावरकर का मानना था कि जब तक देश गुलामी की जंजीरों में बंधा है, तब तक स्वतंत्रता के लिए हर प्रकार का संघर्ष उचित है. उन्होंने हिंसा को एक विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि अंतिम समाधान के रूप में स्वीकारा जब अन्य सभी मार्ग बंद हो जाएं.
उनकी सोच राष्ट्र के प्रति समर्पण, स्वाभिमान और आत्मबल को केंद्र में रखती है. आइए जानते हैं उनके 20 विचार जो आज भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं.
Veer Savarkar Quotes in Hindi | Deshbhakti Quotes in Hindi: वीर सावरकर के 20 प्रेरणादायक विचार

1. स्वतंत्रता कभी दी नहीं जाती, उसे हमेशा छीनना पड़ता है.
सावरकर का यह कथन उनके क्रांतिकारी जीवन का सार है. वे मानते थे कि अगर आप किसी से आज़ादी की भीख मांगते हैं, तो वह गुलामी ही होती है. उनके लिए स्वतंत्रता कोई याचना नहीं थी- यह एक अधिकार था जिसे संघर्ष और बलिदान से हासिल करना पड़ता है.
2. शिक्षित मन स्वतंत्रता के संघर्ष में सबसे बड़ा हथियार है.
सावरकर के अनुसार शिक्षा ही वह शक्ति है जो समाज को अज्ञानता, डर और अन्याय से लड़ने में सक्षम बनाती है. एक जागरूक और शिक्षित नागरिक ही देश के विकास की नींव रख सकता है.
3. जो समाज अपने नायकों, शहीदों और योद्धाओं को नहीं पहचानता, वह पतन की ओर अग्रसर होता है.
वे मानते थे कि जो राष्ट्र अपने वीरों को भूल जाता है, उसका भविष्य अंधकारमय होता है. हमें अपने इतिहास और वीरों के बलिदान को सदैव स्मरण में रखना चाहिए.
4. बुद्ध, धर्म और संघ हमारे लिए सर्वोच्च सम्मान के पात्र हैं. उनके विजय हमारे हैं, जैसे उनके असफलता भी हमारे हैं.
यह विचार भारतीय संस्कृति और परंपरा से जुड़ा है. सावरकर मानते थे कि हमारे पूर्वजों की उपलब्धियां और संघर्ष, दोनों हमारे गर्व का विषय हैं.
5. शांतिपूर्वक तैयारी करो, लेकिन साहसपूर्वक क्रियान्वयन करो-यह संकट के समय हमारा मंत्र होना चाहिए.
इस कथन में संकटों से निपटने की रणनीति छुपी है. सोच-समझ कर योजना बनाओ लेकिन उसका क्रियान्वयन निडरता और हिम्मत के साथ करो.

6. एक देश, एक ईश्वर, एक जाति, एक मन-हम सभी भाई हैं, बिना किसी भेदभाव के.
सावरकर समरसता और एकता के पक्षधर थे. उनका मानना था कि धर्म, जाति या भाषा का भेदभाव राष्ट्र की एकता को कमजोर करता है.
7. अस्पृश्यता एक पाप है, मानवता पर एक धब्बा है, और इसे कोई भी उचित नहीं ठहरा सकता.
उन्होंने सामाजिक समानता की पुरजोर वकालत की. छुआछूत को उन्होंने न केवल सामाजिक बुराई, बल्कि राष्ट्र की कमजोरी बताया.
8. हम सभी हिंदू हैं और हमारे रक्त में समानता है.
सावरकर ने हिंदू समाज को जातियों में विभाजित न मानकर एक सांस्कृतिक इकाई के रूप में देखा. उनके अनुसार, सभी में एक ही संस्कृति का रक्त बहता है.
9. हमारे देवताओं ने संस्कृत में बात की हमारे ऋषियों ने संस्कृत में सोचा हमारे कवियों ने संस्कृत में लिखा.
वे संस्कृत को भारतीय सभ्यता की आत्मा मानते थे और चाहते थे कि यह भाषा भारतीयों की पहचान बनी रहे.
10. भारत की पवित्र भूमि मेरा घर है, उसके वीरों का रक्त मेरी प्रेरणा है, और उसकी विजय मेरा सपना है.
उनकी देशभक्ति हर शब्द से झलकती है. भारत उनके लिए केवल एक भूमि नहीं, एक मां के समान थी- पवित्र, पूजनीय और प्रेरणादायक.
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11. दुनिया उनका सम्मान करती है जो अपने लिए खड़े हो सकते हैं और अपनी लड़ाई खुद लड़ सकते हैं.
आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान ही सच्ची स्वतंत्रता के मूल हैं. सावरकर का मानना था कि सम्मान उन्हीं को मिलता है जो अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं.
12. हिंदू समाज को जाति और पंथ के भेदभाव से ऊपर उठना चाहिए यदि वह स्वतंत्रता का सूर्योदय देखना चाहता है.
वह सामाजिक समरसता को राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए अनिवार्य मानते थे. विभाजित समाज कभी मजबूत राष्ट्र नहीं बन सकता.
13. कायर कभी इतिहास नहीं बनाते, यह बहादुर होते हैं जो अपने नाम समय के पन्नों में अंकित करते हैं.
यह कथन साहस का प्रतीक है. इतिहास उन्हीं का होता है जो डरते नहीं, संघर्ष करते हैं.
14. हमारा एकमात्र कर्तव्य है कि हम अपने राष्ट्र के लिए लड़ते रहें, चाहे कुछ भी हो.
राष्ट्र सर्वोपरि की भावना सावरकर के हर विचार में स्पष्ट झलकती है. उन्होंने जीवनभर राष्ट्रसेवा को ही सर्वोच्च माना.
15. एक सच्चा नेता उदाहरण से नेतृत्व करता है, क्रिया से प्रेरित करता है, और दृष्टिकोण से सशक्त बनाता है.
सच्चा नेतृत्व केवल भाषणों से नहीं, आचरण से होता है. सावरकर स्वयं इसका उदाहरण थे.
16. हमारे पूर्वजों की भूमि और हमारी पवित्र भूमि दोनों भारत में हैं; यही हमें हिंदू बनाता है.
उनके अनुसार, भारत न केवल जन्मभूमि है, बल्कि पवित्र तीर्थभूमि भी है- और यही संस्कृति की नींव है.
17. हम हिंदू एक राष्ट्र हैं, और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुस्लिम दो राष्ट्र हैं.
यह कथन सावरकर के राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें वे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर बल देते हैं.
18. धर्म वह है जो राष्ट्र के हित में हो.
उनके लिए धर्म कोई संकीर्ण अवधारणा नहीं था, बल्कि ऐसा आचरण जो राष्ट्र को सशक्त बनाए.
19. जो सिर झुकता है वो कट भी सकता है, लेकिन जो सिर ऊंचा रहता है वो इतिहास रचता है.
यह कथन आत्मगौरव और निडरता का प्रतीक है. संघर्ष करते हुए मर जाना, झुककर जीने से बेहतर है.
20. इतिहास वो नहीं जो लिखा गया है, इतिहास वो है जो रचा गया है.
इतिहास केवल किताबों में नहीं होता, बल्कि कर्म और संकल्प से बनता है. सावरकर कर्मशीलता को ही इतिहास निर्माण का साधन मानते थे.
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