Vidur Niti: महाभारत में विदुर को एक महान नीतिकार और सत्यवादी व्यक्ति माना गया है. उन्होंने धृतराष्ट्र को दिए गए उपदेशों में कई जीवन उपयोगी बातें कही हैं, जिन्हें विदुर नीति के नाम से जाना जाता है. इन नीतियों में जीवन को सुधारने के ऐसे सूत्र बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति सुख, समृद्धि और सफलता पा सकता है
जिसकी वाणी रूखी, स्वभाव कठोर है और जो मार्मिक शब्दों से दूसरों को पीड़ा पहुंचाता है, वह व्यक्ति स्वयं ही अपने मुख में मृत्यु और दरिद्रता लेकर चलता है.
– विदुर नीति
आज हम बात कर रहे हैं ऐसी तीन बुराइयों की, जिनके कारण व्यक्ति स्वयं ही अपने जीवन में मृत्यु और दरिद्रता को बुला लेता है. विदुर का यह कथन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था.
Vidur Niti: किन 3 दोषों की बात करते हैं विदुर?

विदुर के अनुसार जिन व्यक्तियों में ये तीन दोष होते हैं, वे अपने जीवन में न केवल असफलता, बल्कि दुर्भाग्य और दरिद्रता के भी पात्र बन जाते हैं
1. रूखी वाणी (Harsh Speech)
ऐसे लोग जो हमेशा कटु, रूखे और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं, वे दूसरों के मन को ठेस पहुँचाते हैं. ऐसी वाणी रिश्तों में दरार डालती है और सम्मान को खत्म कर देती है.
2. कठोर स्वभाव (Harsh Nature)
जो व्यक्ति दया, संवेदना और विनम्रता से रहित होता है, उसका स्वभाव समाज में अस्वीकार्य बन जाता है. ऐसे लोग अकेले पड़ जाते हैं और समाज में उन्हें सम्मान नहीं मिलता.
3. मर्मभेदी वचन (Piercing Words)
जो व्यक्ति जानबूझकर दूसरों के दुखती रग पर वार करता है, ताने कसता है या व्यंग्य करता है, वह लोगों के मन में स्थान नहीं बना पाता. ऐसे व्यक्ति की वाणी श्राप के समान मानी जाती है.
विदुर नीति से यह स्पष्ट होता है कि केवल बाहरी आचरण ही नहीं, बल्कि हमारी वाणी और स्वभाव भी हमारे भाग्य को प्रभावित करते हैं. यदि हम सम्मान और समृद्धि चाहते हैं, तो हमें अपने शब्दों और व्यवहार पर नियंत्रण रखना चाहिए.
जो व्यक्ति अपनी वाणी को मधुर नहीं बनाता, स्वभाव से कठोर होता है और दूसरों को शब्दों से दुख देता है, वह स्वयं ही अपने जीवन में मृत्यु और दरिद्रता का कारण बनता है. विदुर नीति का यह ज्ञान आज के युग में भी मार्गदर्शक बन सकता है.
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