Chanakya Niti: चाणक्य की गिनती भारत के महान आचार्यों में की जाती है. उन्होंने जीवन की तमाम मुश्किलों से निपटने के लिए नीतियां बनाई हैं, जो कि व्यक्ति के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती हैं. इन नीतियों को जीवन में अपनाने वाला व्यक्ति हर मुश्किल को आसानी से पार कर लेता है. इसके अलावा, ये नीतियां कौन अपना है और कौन पराया इसका भी भेद करने में मदद करता है. चाणक्य नीति में लिखी बातें आज भी उतनी ही लोकप्रिय है, जितनी प्राचीन काल में थी, क्योंकि ये नीतियां व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक की भूमिका अदा करती है. ऐसे में उन्होंने सार्थकता में ही संबंधों का सुख बताया है. चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के चौथे श्लोक में बताया गया है कि
ते पुत्रा ये पितुर्भुक्ता: स: पिता यस्तु पोषक:।
तन्मित्रम् यत्र विश्वास: सा भार्या या निवृति:।।
इस श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य का कहना है कि पुत्र वही है, जो पिता का भक्त है. पिता वही है, जो पोषक है, मित्र वही है, जो विश्वासपात्र हो और पत्नी वही है, जो हृदय को आनंदित करे.
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- चाणक्य नीति के अनुसार, पिता की आज्ञा मानने वाला और सेवा करने वाले को ही पुत्र कहा जाता है. पिता वही होता है, जो कि अपने बच्चों का सही से पालन-पोषण, देख-रेख और शिक्षा देकर योग्य बनाने वाले व्यक्ति को ही सच्चे मतलब में पिता का दर्जा दिया जा सकता है.
- चाणक्य नीति के मुताबिक, मित्र वही होता है, जिस पर विश्वास किया जा सके. विश्वासघात करने वाले व्यक्ति के साथ मित्रता नहीं की जा सकती है. इसके अलावा, पति को कभी दुखी न करे और हमेशा सुख का ही ध्यान रखे, ऐसी पत्नी ही सच्ची पत्नी होती है.
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