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World Stroke Day 2024: स्ट्रोक के 92% मरीज घर पर रहने की तुलना में यहां हुए तेजी से ठीक, सर्वे से चला पता

World Stroke Day 2024: एचसीएएच के एक सर्वे से पता चलता है कि 73 प्रतिशत लोगों का मानना है कि घर की तुलना में विशेषज्ञ पुनर्वास केंद्रों में जल्दी ठीक होते हैं. एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्ट्रोक भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण और विकलांगता का छठा प्रमुख कारण है.

World Stroke Day 2024: विश्व स्ट्रोक दिवस 2024 पर, विशेषज्ञ स्ट्रोक से बचे लोगों के लिए पुनर्वास केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं. एचसीएएच के एक सर्वे से पता चलता है कि 73 प्रतिशत लोगों का मानना है कि घर की तुलना में विशेषज्ञ पुनर्वास केंद्रों में जल्दी ठीक होते हैं. एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्ट्रोक भारत में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण और विकलांगता का छठा प्रमुख कारण है. उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, तंबाकू का सेवन और वायु प्रदूषण जैसे जोखिम कारकों को कम करने पर केंद्रित जन स्वास्थ्य पहल स्ट्रोक के मामलों को कम करने के लिए आवश्यक हैं. इस दिन को स्ट्रोक से बचे लोगों की बढ़ती संख्या का समर्थन करने के लिए बेहतर पुनर्वास रणनीतियों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है.

जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन, अमेरिका के शोध से पता चलता है कि स्ट्रोक से बचे 10 में से 9 लोगों को पक्षाघात का अनुभव होता है, जिसे अक्सर स्थायी माना जाता है. हालांकि, पहले 90 दिनों के भीतर पुनर्वास शुरू करना, जिसे “गोल्डन पीरियड” के रूप में जाना गया. इस समय के दौरान, मस्तिष्क की न्यूरोप्लास्टिसिटी (मस्तिष्क की खुद को अनुकूलित और संयोजित करने की क्षमता) अपने चरम पर होती है, जो इसे कौशल पुनर्प्राप्ति और अनुकूलन के लिए एक सबसे बेहतर अवधि बनाती है. ऐसे में और अच्छी तरह से संरचित पुनर्वास प्रयासों के महत्व को रेखांकित करता है.

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एचसीएएच सर्वेक्षण के निष्कर्ष

  • सर्वे में शामिल केवल 40 प्रतिशत लोग अस्पताल में भर्ती होने से पहले स्ट्रोक के प्रमुख लक्षणों की पहचान की गई.
  • पुनर्वास केंद्रों में स्वास्थ्य लाभ ले रहें 92 प्रतिशत मरीज तीन महीने के भीतर ठीक हुए.
  • घर पर ठीक होने वाले मरीजों में से 70 प्रतिशत को ठीक होने में चार महीने से अधिक का समय लगा

ये निष्कर्ष शीघ्र चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने और व्यापक पुनर्वास देखभाल की आवश्यकता पर जोर देते हैं.

डॉ.सुधीर कुमार त्यागी, विभागाध्यक्ष – न्यूरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली ने बताया कि संरचित पुनर्वास वातावरण स्ट्रोक से बचे लोगों की प्रभावी रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये केंद्र एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं जिसमें न केवल फिजिकल थेरेपी बल्कि आवश्यक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट भी शामिल है, जो पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के महत्वपूर्ण घटक हैं, एक पुनर्वास केंद्र में, मरीजों को पेशेवरों की एक बहु-विषयक टीम से लाभ होता है जो विशेष उपकरणों और तकनीकों के साथ स्वास्थ्य लाभ के प्रत्येक चरण में उनका मार्गदर्शन करते हैं. घरेलू सेटिंग्स में इस समग्र दृष्टिकोण की अक्सर कमी होती है विशेष उपकरण और पेशेवर मार्गदर्शन की कमी स्वास्थ्य लाभ में काफी बाधा डाल सकती है और ठीक होने का समय बढ़ा सकती है.

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डॉ. प्रवीण गुप्ता, प्रमुख निदेशक एवं न्यूरोलॉजी प्रमुख, फोर्टिस अस्पताल, गुड़गांव, इस का कहना है कि मरीज़ों और उनके परिवारों के साथ मिलकर व्यक्ति विशेष की आवश्यकताओं के अनुसार देखभाल योजनाएं बनाना यह सुनिश्चित करता है कि स्ट्रोक से बचे प्रत्येक व्यक्ति को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप उपचार मिले. एक व्यापक दृष्टिकोण में संज्ञानात्मक चिकित्सा, संवेदी पुनर्वास, मनोविनोद चिकित्सा और बहुत कुछ शामिल होना चाहिए. ये उपचार महत्वपूर्ण हैं न केवल शारीरिक सुधार के लिए, बल्कि भावनात्मक कल्याण का समर्थन करने के लिए भी. मरीजों को सामान्य जीवन में लौटने में मदद करने और सेकंडरी स्ट्रोक को रोकने के लिए, प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों के अनुरूप वैयक्तिकृत पुनर्प्राप्ति योजनाएं विकसित करने की क्षमता, उन्नत उपचारों तक पहुंच के साथ, दोनों की गति को काफी बढ़ा देती है और पुनर्प्राप्ति की गुणवत्ता को भी. व्यापक देखभाल का ऐसा स्तर घर पर शायद ही कभी प्राप्त किया जा सकता है, जहां संसाधन और विशेषज्ञता सीमित हो सकती है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्ट्रोक से बचे अधिक लोग उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल से लाभान्वित हो सकें, इन विशेष सेवाओं तक पहुंच का विस्तार करना जरूरी है जो उनके स्वास्थ्य लाभ अनुभव को बदल सकता है.

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एचसीएएच के सह-संस्थापक और सीओओ डॉ. गौरव ठुकराल ने कहा, “हमारा स्ट्रोक पुनर्वास दृष्टिकोण पक्षाघात से उबरने के समय को काफी कम करने के लिए विशेषज्ञों और उन्नत उपकरणों की एक टीम के साथ-साथ फिजिकल थेरेपी और पुनर्वास (पीएमआर) विशेषज्ञों को एकीकृत करता है. मरीजों और उनके परिवारों के साथ मिलकर हम व्यक्तिगत देखभाल योजनाएं सुनिश्चित करते हैं, ताकि स्ट्रोक से बचे प्रत्येक व्यक्ति को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप देखभाल मिले. हमारे व्यापक दृष्टिकोण में संज्ञानात्मक चिकित्सा, संवेदी और मनोविनोद पुनर्वास और बहुत कुछ शामिल है. हमारा लक्ष्य लोगों को सामान्य जीवन में लौटने में मदद करना, सेकंडरी स्ट्रोक को रोकना, और शारीरिक तथा भावनात्मक सुधार दोनों को संबोधित करना है.

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Bimla Kumari
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I Bimla Kumari have been associated with journalism for the last 7 years. During this period, I have worked in digital media at Kashish News Ranchi, News 11 Bharat Ranchi and ETV Hyderabad. Currently, I work on education, lifestyle and religious news in digital media in Prabhat Khabar. Apart from this, I also do reporting with voice over and anchoring.

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