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Rare Surgery : सचिन के हाथ अब आयेंगे श्रेया के काम

कहते हैं कि डॉक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं. समय-समय पर वे इसकी बानगी भी पेश करते रहे हैं. ऐसा ही एक मामला केरल के कोच्चि में सामने आया है, जहां डॉक्टरों ने 19 साल की श्रेया के शरीर में नये हाथों का सफल प्रत्यारोपण किया है. यह एशिया में अपनी तरह […]

कहते हैं कि डॉक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं. समय-समय पर वे इसकी बानगी भी पेश करते रहे हैं. ऐसा ही एक मामला केरल के कोच्चि में सामने आया है, जहां डॉक्टरों ने 19 साल की श्रेया के शरीर में नये हाथों का सफल प्रत्यारोपण किया है. यह एशिया में अपनी तरह की पहली सफल सर्जरी बतायी जा रही है.

पुणे की रहनेवाली श्रेया सिद्दानागौड़ा,मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में केमिकल इंजीनियरिंग की छात्राहै. सितंबर 2016 में पुणे से मंगलुरु स्थित अपने कॉलेज लौटने के क्रम में वह एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गयी. इलाज के बाद उनकी जान तो बच गयी, लेकिन डॉक्टरों को उनके दोनों हाथ काटने पड़े.

श्रेया को जिस शख्स के हाथ मिले हैं, उनका नाम सचिन है. 20 साल के सचिन एक मोटरबाइक एक्सीडेंट में जख्मी हो गये थे. उन्हें हेड इंज्यूरी थी. इलाज के कुछ दिनों बाद डॉक्टरोंने उन्हें ब्रेन-डेड घोषित कर दिया था.

एर्नाकुलम के राजागिरि कॉलेज में बीकॉम अंतिम वर्ष के छात्र रहे सचिन का एक्सीडेंट, श्रेया के एक्सीडेंट के अगले दिन हुआ था. सचिन के माता-पिता ने उसके हाथों को डोनेट करने का फैसला किया था.

श्रेया के परिजनों को किसी ने कोच्चिस्थित अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIMS) के बारे बताया था. यह अस्पताल कटे अंगों को जोड़ने के लिए देश भर में विख्यात है. जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद डॉक्टरों कीटीम श्रेया के कटे बाजुओं में सचिन के हाथ जोड़ने केलिए तैयार हुई.

20 सर्जन्स और 16 एनेस्थीसिस्ट्स की मदद से श्रेया को नये बाजू देने का यह ऑपरेशन 13 घंटों तक चला. इस टीम का नेतृत्व अस्पताल के प्लास्टिक एंड रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के डिपोर्टमेंट हेड डॉ सुब्रमण्यम अय्यर ने किया.

इस टीम में शामिल सीनियर प्लास्टिक सर्जन डॉ मोहित शर्मा ने बताया कि दोनों हाथों का सफल प्रत्यारोपण किये जाने के बाद श्रेया को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है और उसे अब गहन फिजियोथेरेपी और देखभाल से गुजरनाहै.

उन्होंने बताया कि श्रेया ने उंगलियों, कलाइयों और कंधों की हल्की मूवमेंट शुरू कर दी है और उम्मीद है कि एक से डेढ़ साल के भीतर वह अपना 85 प्रतिशत वापस पा लेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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