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गेम चेंजर साबित होगी मोदीकेयर, पैसे की नहीं होगी दिक्कत : नीति आयोग

नयी दिल्ली : नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बजट में घोषित स्वास्थ्य योजना को लेकर की जा रही आलोचना को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह पासा पलटने वाली साबित होगी और एक प्रतिशत का अतिरिक्त उपकर इसके वित्त पोषण को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा. वित्त मंत्री अरुण […]

नयी दिल्ली : नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बजट में घोषित स्वास्थ्य योजना को लेकर की जा रही आलोचना को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह पासा पलटने वाली साबित होगी और एक प्रतिशत का अतिरिक्त उपकर इसके वित्त पोषण को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एनएचपीएस) की घोषणा की है. इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने की घोषणा की गयी है. कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह योजना पासा पलटने वाली होगी.’ उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना के खिलाफ आधारहीन और झूठा दुष्प्रचार किया जा रहा है.’

पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने प्रस्ताव को ‘जुमला’ करार दिया. उन्होंने कहा कि इसकेलिए बजट में धन का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इस प्रमुख योजना के वित्त पोषण के बारे में पूछे जाने पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन को बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये किया गया है. इसके अलावा 2,000 करोड़ रुपये की मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) चल रही है.

सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा परियोजनाओं की पूंजी निवेश जरूरतों को पूरा करने के लिए एक वैकल्पिक उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (एचईएफए) प्रणाली स्थापित कर स्वास्थ्य मंत्रालय केलिए वित्तीय गुंजाइश उपलब्ध करायी है. इसके अलावा, बजट में एक प्रतिशत अतिरिक्त शिक्षा तथा स्वास्थ्य उपकर के प्रस्ताव से सालाना 11,000 करोड़ रुपये की प्राप्ति होगी. इन सभी को मिलाकर कल्याणकारी कार्यक्रमों की वित्त पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त राशि उपलब्ध होगी. कुमार के अनुसार केंद्र तथा राज्य सरकारों को केवल बीमा प्रीमियम का बोझ उठाना होगा जो थोड़ा होगा. भारी मात्रा में खरीद तथा प्रतिस्पर्धा से लाभ प्राप्त होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘सभी केंद्रीय योजनाओं की तरह इसमें 60-40 का अनुपात होगा. जो राज्य योजना से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें 40 प्रतिशत योगदान देना होगा. पूर्वोत्तर राज्य 10 प्रतिशत योगदान देंगे.’ कई विशेषज्ञों ने इस प्रकार की महत्वकांक्षी योजना के वित्त पोषण को लेकर सरकार की क्षमता तथा देश में बड़ी संख्या में लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने केलिए ढांचागत सुविधा की उपलब्धता को लेकर सवाल उठाये हैं. स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं केलिए बुनियादी ढांचा के बारे में कुमार ने कहा कि योजना निजी क्षेत्र के उपक्रमों को प्रोत्साहित करेगी और वे पुरजोर तरीके से स्वयं को तैयार करेंगे.

नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार वृहत स्वास्थ्य योजना पर सालाना 12,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसे 15 अगस्त या दो अक्तूबर को शुरू किया जा सकता है. वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक तथा जाति जनगणना के आधार पर चिह्नित सभी गरीब परिवार योजना के लिए पात्र होंगे. इस योजना को आधार से जोड़ा जाएगा लेकिन लाभ लेने के मामले में यह अनिवार्य नहीं होगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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