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बेंगलुरू : क्या आप अपनी बेटी की शादी किसी एनआरआई लड़के से करना चाहते हैं, तो जरा रूकिए और यह रिपोर्ट पढ़ें. टाइम्स अॅाफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार एनआरआई दूल्हा कई बार आपकी बेटी के लिए अच्छा नहीं होता और आपकी परेशानी बढ़ सकती है. विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक […]


बेंगलुरू :
क्या आप अपनी बेटी की शादी किसी एनआरआई लड़के से करना चाहते हैं, तो जरा रूकिए और यह रिपोर्ट पढ़ें. टाइम्स अॅाफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार एनआरआई दूल्हा कई बार आपकी बेटी के लिए अच्छा नहीं होता और आपकी परेशानी बढ़ सकती है.

विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक जनवरी 2015 से लेकर 30 नवंबर 2017 तक मंत्रालय के पास 3,328 शिकायतें आयीं, जिसमें महिलाएं यह शिकायत कर रहीं थीं कि उनका एनआरआई पति उनके साथ दुर्व्यवहार करता है और उनका शारीरिक शोषण भी करता है. औसतन एक दिन में तीन ऐसी शिकायतें मंत्रालय के पास आतीं हैं यानी की आठ घंटे में एक.

औसतन एक दिन में तीन ऐसी शिकायतें मंत्रालय के पास आतीं हैं यानी की आठ घंटे में एक

मंत्रालय के समक्ष गुहार लगाने वाली अधिकतर विवाहित महिलाएं पंजाब, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और गुजरात की है. परित्यक्त महिलाओं पर स्टडी करने वाली संस्था ‘द नेशनल इंस्टीच्यूट अॅाफ पब्लिक कॉपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट’ के अध्ययन में भी यह बात सामने आयी है.
वाशिंगटन डीसी के भारतीय दूतावास में पिछले 16 साल से काम कर रहीं आरती राव का कहना है कि अधिकतर महिलाएं जो दहेज के लिए प्रताड़ित की जा रहीं हैं वे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से हैं. जहां दहेज प्रथा आज भी मजबूती से कायम है. वे कहती हैं कि लड़के अपने माता-पिता की खुशी के लिए भारत आते हैं और शादी करते हैं, लेकिन वे इस शादी से खुश नहीं रहते और ना ही अपनी पत्नी के साथ रहना चाहते हैं और वे उन्हें छोड़ देते हैं.

लड़के अपने माता-पिता की खुशी के लिए भारत आते हैं और शादी करते हैं, लेकिन वे इस शादी से खुश नहीं रहते

विदेश मंत्रालय के पास एक शिकायत आयी थी जिसमें शिकायकर्ता महिला ने बताया था कि वह बहरीन में फंस गयी थी, क्योंकि उसके पति ने उसका वीजा संबंधित दस्तावेज नष्ट कर दिया था और उसे फोन भी नहीं करने देता था.
पूर्ववर्ती विदेशी मामलों के मंत्रालय, जिसका अब विदेश मंत्रालय में विलय कर दिया गया है ने 2007 में ऐसी महिलाओं के लिए एक योजना शुरू की थी. विदेश मंत्रालय ने MADAD नाम से एक शिकायत निवारण पोर्टल बनाया था, जहां महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज करा सकती थीं और उन्हें आर्थिक और कानूनी सहायता मिलती है.

चेन्नई की एक वकील सुधा रामालिंगम ने बताया कि सभी मामले मंत्रालय के पास से होकर नहीं आते हैं, इसलिए यह कहा जा सकता है कि यह समस्या बहुत गंभीर है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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