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गरीबी दूर करने, बेहतर स्वास्थ्य, खाद्य-ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में शोध एवं नवोन्मेष की भूमिका अहम : कोविंद

नयी दिल्ली : शोध और नवोन्मेष के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, बेहतर स्वास्थ्य एवं सेहत सुनिश्चित करने तथा खाद्य एवं ऊर्जा शोध जरूरतों को पूरा करने में शोध और नवोन्मेष की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय […]

नयी दिल्ली : शोध और नवोन्मेष के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, बेहतर स्वास्थ्य एवं सेहत सुनिश्चित करने तथा खाद्य एवं ऊर्जा शोध जरूरतों को पूरा करने में शोध और नवोन्मेष की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक के दौरान राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें शोध और शिक्षक के पेशे के महत्व को समाज में व्यापक स्तर पर रेखांकित करना चाहिए. यह पेश हमें ऐसा अनोखा अवसर प्रदान करता है, जैसा कैरियर का कोई दूसरा माध्यम नहीं प्रदान करता है.’

उन्होंने कहा कि शिक्षक के पेशे में विचारों पर चिंतन करने और विचारों को परखने की स्वतंत्रता है और इन विचारों को शोध एवं शिक्षा के माध्यम से फैलाया जा सकता है. कोविंद ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि शिक्षा के केंद्रों में शोध और नवोन्मेष को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी सरकार की है, हालांकि विशिष्ट जिम्मेदारी शोधकर्ताओं की भी बनती है. यह शोध हमारे देश और लोगों की जरूरतों के अनुरूप हो.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, बेहतर स्वास्थ्य एवं सेहत सुनिश्चित करने तथा खाद्य एवं ऊर्जा शोध जरूरतों को पूरा करने में शोध और नवोन्मेष महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.’ शोध के महत्व को रेखांकित करते हुए कोविंद ने कहा कि शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं की सतत प्रतिबद्धता एवं संस्थागत समर्थन की जरूरत होती है, क्योंकि शोध नौ बजे से पांच बजे का काम नहीं है. ऐसे में शोध को आगे बढ़ाने की संस्कृति रूढ़िवादी नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में गौरव का विषय हैं. इन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

कोविंद ने कहा, ‘‘हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालयों का लक्ष्य वैश्विक मानदंडों के अनुरूप सतत रूप से अपने आप को उन्नत बनाने पर होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे सार्वजनिक संस्थान होते हैं, जो ऊर्जा और युवाओं के जोश से उत्प्रेरित होते हैं. ऐसे में इस ऊर्जा का उपयोग पास के समुदाय तथा राज्य सरकार को जोड़ कर किया जाना चाहिए. राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि वे छात्रों को एनएसएस या अन्य क्लबों के माध्यम से सामाजिक उद्यमों में करें.

उन्होंने कहा कि ऐसे विश्वविद्यालय जो पिछड़े इलाके में स्थित है, उनकी विशेष जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने आसपास के समुदाय के साथ काम करें. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बुनियादी विज्ञान, मानविकी, कला और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में शोध के लिए चार शिक्षाविदों को कल राष्ट्रपति भवन में विजिटर पुरस्कार प्रदान किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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