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चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अगले साल, गगनयान के लिए वायुसेना से चार अंतरिक्ष यात्री चयनित : इसरो

बेंगलुरु : इसरो ने बुधवार को ऐलान किया कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अगले साल हो सकता है. साथ ही, महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम के लिए भी चार अंतरिक्ष यात्रियों को चयनित किया गया है और जल्द ही रूस में उनका प्रशिक्षण शुरू हो जायेगा. हालांकि, एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था […]

बेंगलुरु : इसरो ने बुधवार को ऐलान किया कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अगले साल हो सकता है. साथ ही, महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम के लिए भी चार अंतरिक्ष यात्रियों को चयनित किया गया है और जल्द ही रूस में उनका प्रशिक्षण शुरू हो जायेगा. हालांकि, एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि भारत 2020 में चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण करेगा.

इसरो प्रमुख के सिवन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीसरे चंद्रयान मिशन से संबंधित सभी गतिविधियां सुचारू रूप से चल रही हैं. उन्होंने कहा कि इसमें पहले की तरह लैंडर, रोवर और एक ‘प्रोपल्शन मॉड्यूल’ होगा. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण अगले साल तक जा सकता है. सिवन ने कहा कि चंद्रयान-3 और मिशन गगनयान, दोनों का काम एक साथ चल रहा है. गगनयान मानव को अंतरिक्ष में ले जाने का भारत का पहला अभियान है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का जीवनकाल सात साल होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि तीसरे चंद्र मिशन के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जायेगा. चंद्रयान-3 परियोजना की लागत पर सिवन ने कहा, इस मिशन पर 250 करोड़ रुपये का खर्च होगा.

तमिलनाडु के तूतिकोरीन में प्रक्षेपण स्थल के बारे में सिवन ने कहा कि श्री हरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के स्पेस पोर्ट के अलावा दूसरे प्रक्षेपण स्थल के वास्ते तूतिकोरीन जिले में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गयी है. स्थान के चयन के संबंध में उन्होंने कहा कि दक्षिण की ओर प्रक्षेपण, खासकर एसएसएलवी (छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान) को इससे फायदा होगा. भविष्य के अभियानों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 2020 के लिए 25 मिशन की योजना है. उन्होंने कहा, 2019 में जिस मिशन की योजना बनायी गयी थी और उसे पूरा नहीं किया जा सका, उसे इस साल मार्च तक पूरा किया जायेगा.

विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग में क्या दिक्कत हुई ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह वेग में कमी से जुड़ी विफलता थी और यह आंतरिक कारणों से हुआ था. इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया था. हालांकि, निर्धारित समय से कुछ क्षण पहले इसरो का विक्रम से संपर्क टूट गया था. चंद्रयान 2 मिशन चंद्रमा की सतह पर पहुंचने का भारत का पहला प्रयास था. इसरो प्रमुख ने चेन्नई के उस इंजीनियर की भी तारीफ की जिसने चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का पता लगाया था. उन्होंने कहा कि यह अंतरिक्ष एजेंसी की नीति थी कि वह दुर्घटनाग्रस्त मॉड्यूल की तस्वीर जारी नहीं करेंगे.

सिवन ने कहा कि महत्वाकांक्षी ‘गगनयान’ मिशन के लिए अंतरिक्षयात्रियों को प्रशिक्षण देना रूस में जनवरी के तीसरे सप्ताह से शुरू होगा. सिवन ने बताया कि इस मिशन के लिए चार अंतरिक्षयात्रियों को चयनित किया गया है और उनका प्रशिक्षण इस महीने के तीसरे सप्ताह से रूस में शुरू होगा. उन्होंने कहा, हमने 2019 में गगनयान के संबंध में अच्छी प्रगति की. कई डिजाइन का काम पूरा हो गया और अंतरिक्षयात्रियों के चयन का काम हो चुका है. अब प्रशिक्षण के लिए चारों लोगों को चिह्नित किया जा चुका है. भारत ने गगनयान मिशन पर सहयोग के लिए रूस और फ्रांस के साथ समझौता किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन के दौरान महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की घोषणा की थी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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