23.8 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पद्म पुरस्कार पाने वालों की कहानियां: किसी ने मृतों को दिया सम्मान, तो कोई मरीजों के मसीहा

नयी दिल्लीः केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है. इस बार सात पद्म विभूषण, 16 पद्म भूषण और 118 पद्मश्री सम्मान दिए जाएंगे. इनमें 33 महिलाओं को पद्म सम्मानमिले हैं. इस बार भी ऐसे कई व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया जो अबतक अनजान थे मगर अब […]

नयी दिल्लीः केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 के लिए पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है. इस बार सात पद्म विभूषण, 16 पद्म भूषण और 118 पद्मश्री सम्मान दिए जाएंगे. इनमें 33 महिलाओं को पद्म सम्मानमिले हैं. इस बार भी ऐसे कई व्यक्तियों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया जो अबतक अनजान थे मगर अब उनके काम की चर्चा हर ओर है. आज हम आपको बताएंगे ऐसे कुछ नामों के बारे में जो लाइमलाइट से दूर रह कर समाज की सेवा में जुटे हैं.

जगदीश लाल आहूजाः इनको पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है. चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल के बाहर सैंकड़ों गरीब मरीजों को हर दिन मुफ्त भोजन मुहैया करवाते हैं. उन्होंने 1980 में इसकी शुरूआत की थी. बीते 15 वर्षों से हर दिन आहूजा दो हजार लोगों को मुफ्त भोजन करवाते हैं. कैंसर से पीड़ित 84 वर्षीय आहूजा किसी समय करोड़पति थे.
वर्षों से पीजीआई के बाहर मरीजों के लिए लंगर लगा-लगाकर आज वह कंगाली के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन किसी को भूखा नहीं सोने देते. लोग उन्हें लंगर बाबा कहते हैं, जबकि पत्नी को जय माता दी. उन्होंने कहा उन्हें खुशी है कि सरकार ने एक रेहड़ी लगाने वाले को भी इतना बड़ा सम्मान दिया है. कैंसर के बावजूद एक दिन भी पीजीआई के बाहर लंगर बंद नहीं हुआ.
मोहम्मद शरीफः समाजसेवा के क्षेत्र में इन्हें भी इस वर्ष पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है. बता दें, मोहम्मद शरीफ पिछले कई सालों से अयोध्या (फैजाबाद) और आसपास के इलाकों में बिना किसी प्रकार के धार्मिक भेदभाव के लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. उन्होंने कभी अपने धर्म को आड़े नहीं आने दिया. उन्हें लोग ‘चाचा शरीफ’ नाम से भी पुकारते हैं.

पद्म श्री सम्मान के लिए अपने नाम घोषणा होने के बाद पेशे से साईकल मैकेनिक मोहम्मद शरीफ ने मीडिया से कहा, ’27 साल पहले, सुल्तानपुर में मेरे बेटे की हत्या कर दी गई थी और मुझे इसके बारे में एक महीने बाद पता चला था. उसके बाद मैंने इस काम को अपने हाथ में ले लिया. मैंने अब तक हिंदुओं के 3000 और मुसलमानों के 2500 शवों का अंतिम संस्कार किया है.
जावेद अहमद टाकः इस वर्ष पद्मश्री सम्मान से नवाजे गए जावेद अहमद टाक समाज सुधारक हैं और दिव्यांग बच्चों के लिए काम करते हैं. अनंतनाग और पुलवामा के आसपास के 40 से ज्यादा गांव के दिव्यांग बच्चों के लिए वह मुफ्त शिक्षा और दूसरी सहायता देते हैं.
1997 में जावेद के चाचा पर आतंकियों ने हमला किया. इस हमले में जावेद के चाचा की तो मौत हो गई लेकिन जावेद की रीढ़ की हड्डी में गोली लगी. अस्पताल में जब जावेद को होश आया तब पता चला कि अब वो कभी चल नहीं पायेंगे. 1997 में हुए उस आतंकी हमले के बाद अब वो अब व्हील चेयर की सहायता से चलते हैं.
तुलसी गौड़ाः 74 वर्षीय तुलसी गौड़ा को जंगल की एन्सायक्लोपीडिया भी कहा जाता है. वह कभी स्कूल नहीं गईं लेकिन कई राज्यों के युवा इनसे यही कला समझने के लिए मिलते हैं. कहा जाता है कि पेड़ और औषधीय पौधों की प्रजातियों के बारे में उनकी जानकारी विशेषज्ञों से भी ज्यादा है. एक लाख से अधिक पौधे लगा चुकी हैं. उम्र के इस पड़ाव पर हरियाली बढ़ाने और पर्यावरण सहेजने का उनका अभियान जारी है. पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा की इसी उपलब्धि के लिए पद्मश्री से नवाजा है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel