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काला धन के मुद्दे के साथ आतंकवाद और तस्‍करी भी बड़ी चुनौती : मोदी

ब्रिस्बेन : ऑस्‍ट्रेलिया में चल रहे जी 20 सम्‍मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केवल काला धन ही नहीं बल्कि आतंकवाद, नशीली दवाओं की तस्‍करी, कर चोरी और हथियारों की तस्‍करी सबसे कड़ी चुनौती है. विश्व में वित्तीय व्यवस्था के लचीलेपन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह साइबर […]

ब्रिस्बेन : ऑस्‍ट्रेलिया में चल रहे जी 20 सम्‍मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केवल काला धन ही नहीं बल्कि आतंकवाद, नशीली दवाओं की तस्‍करी, कर चोरी और हथियारों की तस्‍करी सबसे कड़ी चुनौती है. विश्व में वित्तीय व्यवस्था के लचीलेपन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह साइबर सुरक्षा पर भी निर्भर होगी. मोदी ने जी-20 में स्वच्छ उर्जा अनुसंधान एवं विकास के लिए एक ‘ग्लोबल वर्चुअल सेंटर’ स्थापित करने का भी प्रस्ताव रखा.

विदेशों से काला धन वापस लाने के भारत के प्रयासों के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर चोरी करने वालों के पनाहगाह देशों समेत आज प्रत्येक देश से संधियों में की गई प्रतिबद्धताओं के अनुसार, कर संबंधी उद्देश्यों के लिए सूचनाएं मुहैया कराने को कहा. काले धन का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाते हुए मोदी ने 20 औद्योगिक एवं प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों से इस चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक समन्वय का आह्वान किया.

कर संबंधी सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के नए वैश्विक मानकों पर भारत का समर्थन जताते हुए मोदी ने कहा कि विदेशों में जमा काले धन के बारे में जानकारी हासिल करने और उसे वापस लाने में ये मानक कारगर होंगे. उन्होंने कर नीति एवं कर प्रशासन में परस्पर सहायता और सूचनाओं के आदान प्रदान को सुगम बनाने संबंधी सभी पहलों के लिए भारत का समर्थन जताया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां स्थित ‘ब्रिस्बेन प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र’ में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन ‘डिलीवरिंग ग्लोबल इकोनॉमिक रेजिलिएन्स’ विषय पर पूर्ण सत्र के दौरान यह बातें कहीं. मोदी ने यह उम्मीद भी जताई कि ‘बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शेयरिंग’ (बीईपीएस) व्यवस्था विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं की चिंताओं का पूरा समाधान करेगी.

बीईपीएस से आशय बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कर अदायगी से बचने की रणनीति के उपयोग का संबंधित देशों पर पडने वाले प्रभाव से है. आम तौर पर बीईपीएस को ‘ट्रांसफर प्राइसिंग’ के तौर पर जाना जाता है जिसके तहत कंपनियां कर नियमों में खामी का उपयोग कर अपना लाभ कम या कर नहीं लगने वाले देशों में स्थानांतरित करती हैं. इससे उन देशों को नुकसान होता है जो काफी हद तक कंपनी कर पर निर्भर हैं. इस शब्द का उपयोग ओईसीडी की अगुवाई वाले एक प्रोजेक्ट में किया गया.

इसमें दुनिया के बडे देश कंपनी करारोपण से संबद्ध नियमों को फिर से तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इस समस्या को दूर किया जा सके. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पूंजी और प्रौद्योगिकी की गतिशीलता (मोबिलिटी) ने कर वंचन और लाभ स्थानांतरण के लिए नए अवसर पैदा किए हैं. मोदी ने विश्व समुदाय को समन्वित फैसले करने की जरुरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि बडी अर्थव्यवस्थाओं के बीच नीतिगत समन्वय की जरुरत बनी हुई है.

जी-20 के बारे में

‘ग्रुप ऑफ ट्वेन्टी’ को जी-20 के तौर पर भी जाना जाता है. यह 20 बडी अर्थव्यवस्थाओं की सरकारों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों का एक अंतरराष्ट्रीय मंच है. इसके सदस्य अर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रुस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं.

यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय आयोग द्वारा और यूरोपियन सेंट्रल बैंक द्वारा किया जाता है. सामूहिक रुप से जी-20 अर्थव्यवस्थाओं का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 85 प्रतिशत योगदान है. वैश्विक व्यापार में समूह की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है. साथ ही दुनिया की दो तिहाई आबादी इन्हीं देशों में रहती है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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