जयपुर : राजस्थान महिला संगठन ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी द्वारा भू्रण परीक्षण को लेकर दिये गये बयान की कड़ी निंदा की है. जनसंगठन की ओर से आज जारी बयान में कहा है कि मेनका गांधी स्वयं महिला होकर कैसे ऐसा बयान दे सकती है, जिस समाज में पुत्र की लालसा और बेटी की पसन्दगी का माहौल हैं. उसमे भु्रण का लिंग बता देना घटते लिंगानुपात को और भी घटा देगा और कन्या भू्रण हत्या के उद्योग को और बढ़ावा देगी.
बयान में कहा गया है कि लिंग जांच को अनिवार्य करके हर गर्भवती औरत की गर्भावस्था के निगरानी की सोच, संविधान में दिये गये निजता का हक व 1971 के (संशोधित 2003) के एमटीपी (गर्भपात) कानून का उल्लंघन करती है. उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसल, मीरा माथुर बनाम एलआईसी के अनुसार हर गर्भवती महिला को यह अधिकार है कि उसकी गर्भावस्था की जानकारी वह दे या ना दे, यह उसका स्वयं का अधिकार है.
क्योंकि वह उसकी निजता के हक के साथ जुड़ा हुआ है. जनसंगठन की ओर से कविता श्रीवास्तव, लाड कुमारी जैन सहित सोलह से अधिक पदाधिकारियों के नाम से जारी बयान में कहा है कि केंद्रीय मंत्री की सोच चिकित्सा उद्योग को कानूनी जिम्मेदारी से आजाद करती है उल्टा महिला पर गर्भपात की पूरी जिम्मेदारी डाल देती है. गौरतलब है कि जयपुर में संपादकों के सम्मेलन में कल मेनका गांधी ने हर औरत की सोनोग्राफी अनिवार्य कर भ्रूण के लिंग को बता देने का सुझाव दिया था.