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स्वीडन ने राजीव को शर्मसार होने से बचाने के लिए बोफोर्स घोटाले की जांच रोक दी थी :सीआईए रिपोर्ट

नयी दिल्ली : स्वीडन ने बोफोर्स घोटाले में अपनी जांच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को शर्मसार होने से बचाने के प्रयास के तहत बंद कर दी थी क्योंकि उसने महसूस किया था कि आगे की जांच से सौदे में भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने के बारे में और खुलासे हो सकते हैं. यह बात […]

नयी दिल्ली : स्वीडन ने बोफोर्स घोटाले में अपनी जांच तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को शर्मसार होने से बचाने के प्रयास के तहत बंद कर दी थी क्योंकि उसने महसूस किया था कि आगे की जांच से सौदे में भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने के बारे में और खुलासे हो सकते हैं. यह बात सीआईए की सार्वजनिक की गई एक रिपोर्ट में कही गई है. इसमें कहा गया है कि रिश्वत के भुगतान के विवरणों को एक ‘योजना’ के तहत गोपनीय रखा गया क्योंकि स्वीडन गांधी को स्वीडिश लीक की वजह से पैदा होने वाली परेशानियों से ‘बचाना’ चाहता था जबकि मुख्य कंपनी नोबेल इंडस्टरीज दोषारोपित होने से बचना चाहती थी.

बोफोर्स घोटाले पर सीआईए की गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘स्टॉकहोम स्वीडिश लीक से पैदा हुई मुसीबतों से गांधी को बचाना चाहता था और नोबेल इंडस्टरीज रिश्वतखोरी के अभ्यारोपण से बचना चाहती थी.” रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने एक योजना पर सहयोग किया ताकि भुगतान के ब्योरों को गोपनीय रखा जा सके. स्टॉकहोम ने आखिरकार समूची रिश्वतखोरी की जांच वापस ले ली.” अमेरिकी खुफिया एजेंसी की चार मार्च 1988 की रिपोर्ट में कहा गया कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री गांधी की स्टॉकहोम यात्रा के बाद घोटाले की एक अलग पुलिस जांच जनवरी के उत्तरार्द्ध में 1988 में समाप्त कर दी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘आधे-अधूरे मन से स्विस सहायता का अनुरोध करने के बाद स्वीडन ने स्विस बैंक खातों के जरिए भुगतान का पता लगाने में अक्षमता जाहिर की.” नोबेल इंडस्टरीज एबी का गठन 1984 में स्वीडिश रसायन कंपनी केमानोबेल का स्वीडिश हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ विलय करने के बाद किया गया था.

रिपोर्ट में कहा गया कि रिश्वत के ‘जटिल जाल’ और हथियारों के डाइवर्जन की जांच के लिए कई जांच शुरु की गई लेकिन इंडस्टरी के एक महत्वपूर्ण अधिकारी की स्वीकारोक्ति के बावजूद सिर्फ दो लोगों पर स्वीडन के कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘स्टॉकहोम ने तब से बोफोर्स रिश्वतखोरी मामले की जांच वापस ले ली है. ऐसा संभवत: भारतीय अधिकारियों को दी गई रिश्वत का भविष्य में होने वाले खुलासों को रोकने के प्रयासों के तहत किया गया, ताकि (तत्कालीन) प्रधानमंत्री गांधी को मुसीबतों से बचाया जा सके.” रिपोर्ट में एक सीमाशुल्क अधिकारी की रहस्यमय मौत का भी उल्लेख किया गया है. ओलोफ पाल्मे की हत्या के तार संभवत: ईरान से जुडे हुए थे.

सीआईए रिपोर्ट में भारत और सिंगापुर में रिश्वतखोरी की जांच का भी उल्लेख किया गया है. सिंगापुर बोफोर्स मामले में एक महत्वपूर्ण ट्रांसशिपमेंट प्वाइंट था. रिपोर्ट में बोफोर्स के जानबूझकर बहरीन को मिसाइल प्रणाली, थाइलैंड को विमान रोधी तोप, ओमान को गोला-बारुद और पूर्वी जर्मनी को विस्फोटकों की आपूर्ति करने में हथियार बेचने के मानदंडों का उल्लंघन करने का उल्लेख किया गया है. यह रिपोर्ट सीआईए द्वारा पिछले सप्ताह सार्वजनिक किए गए तकरीबन 1.2 करोड गोपनीय दस्तावेज का हिस्सा है. बोफोर्स घोटाले की वजह से 1989 में राजीव गांधी नीत कांग्रेस को लोकसभा चुनाव हारना पडा था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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