AAP: दिल्ली में सरकार बदलने के बाद कई स्तर पर बदलाव हो रहे हैं. इस बदलाव के तहत गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी की सुरक्षा को ‘जेड’ श्रेणी से कम कर ‘वाई’ श्रेणी करने का निर्देश जारी किया है. सूत्रों का कहना है कि यह फैसला केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतिशी को खतरे की समीक्षा के बाद लिया गया है. सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर वीआईपी लोगों की सुरक्षा का आकलन करती है. आतिशी के सुरक्षा आकलन में पाया कि उन्हें कोई बड़ा खतरा नहीं है. इस आकलन के बाद गृह मंत्रालय ने आतिशी की सुरक्षा को कम करने का फैसला लिया है. मौजूदा समय में आतिशी दिल्ली में विपक्ष की नेता हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर भी गृह मंत्रालय से संपर्क किया था. गृह मंत्रालय ने सभी तथ्यों पर गौर करते हुए केजरीवाल को फिलहाल ‘जेड प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा जारी रखने को कहा. केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं. आरोप है कि केजरीवाल को पंजाब सरकार की ओर से भी जेड प्लस की सुरक्षा मुहैया करायी गयी है. केजरीवाल की सुरक्षा को लेकर राजनीतिक विवाद भी हो चुका है. गौर करने वाली बात है कि ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत अब आतिशी को अब दिल्ली पुलिस के दो कमांडो सहित लगभग 12 कर्मियों की एक टीम सुरक्षा मुहैया कराएगी.
कई आप नेताओं की सुरक्षा में हुई कटौती
दिल्ली में सरकार बदलने के बाद मार्च में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप विधायक अजय दत्त और दिल्ली के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को दी गई ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा की समीक्षा करने का प्रस्ताव दिया था. नेताओं को सुरक्षा केंद्रीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा समय-समय पर किए गए खतरे के आकलन के आधार पर गृह मंत्रालय मुहैया कराता है. मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद आतिशी को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करायी गयी थी. हालांकि अभी तक आम आदमी पार्टी की ओर से सुरक्षा में कमी करने पर कोई बयान नहीं आया है. लेकिन पार्टी ने कहा कि सुरक्षा एक बेहद संवेदनशील मामला है और इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
वहीं आतिशी ने एक बार फिर दिल्ली में बिजली कटौती को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा. आतिशी ने कहा कि दिल्ली में बढ़ते पारे के साथ ही बिजली कटाैती बढ़ती जा रही है. लेकिन मौजूदा सरकार इस समस्या को दूर करने को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है.
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