ACB: दिल्ली के अस्पतालों में हुए भ्रष्टाचार के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) ने दिल्ली सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इससे पहले, हजारों करोड़ रुपये से अधिक के अस्पताल घोटाले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एसीबी को दो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच को मंजूरी दी थी. मामला दर्ज होने के बाद आम आदमी पार्टी के दोनों नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती है. आरोप है कि वर्ष 2018-19 में 5590 करोड़ रुपये की लागत से अस्पताल में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गयी थी. लेकिन परियोजना में हुई देरी लागत में हुई अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर शिकायत दर्ज करायी गयी और प्रारंभिक जांच में भ्रष्टाचार करने के सबूत सामने आए. एसीबी की जांच में पाया गया कि अस्पतालों के निर्माण काम में बिना कारण देरी की गयी और लागत की कीमत को जानबूझकर बढ़ा दिया गया.
इसके कारण व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ. कोई भी योजना तय समय में पूरी नहीं हो पायी. भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 17 ए के तहत उपराज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद भारद्वाज और जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान दोनों स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं. दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद आम आदमी पार्टी के कई नेता जांच एजेंसियों के निशाने पर है. शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो चुका है. सत्येंद्र जैन के खिलाफ पहले से कई मामलों की जांच चल रही है.
क्या हैं आरोप
इस मामले में एसीबी ने दोनों पूर्व मंत्रियों, पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य विभाग के सरकारी अधिकारियों और निजी ठेकेदारों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. आरोप है कि 2018-19 में 5590 करोड़ की लागत वाली 24 अस्पताल परियोजनाओं (11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड) को इन्होंने मंत्री के तौर पर मंजूरी दी थी. इसके तहत 6,800 की बिस्तर क्षमता वाले सात आईसीयू अस्पतालों का निर्माण सितंबर 2021 तक 1125 करोड़ रुपये की लागत किया जाना था. लेकिन समय बीत जाने के बावजूद 800 करोड़ की लागत से सिर्फ 50 प्रतिशत निर्माण काम ही पूरा हो सका. इस मामले की शिकायत भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने 22 अगस्त 2024 को एसीबी से की थी.
इस शिकायत के आधार पर जांच शुरू की गयी और प्रारंभिक जांच में कई अनियमितता पायी गयी. प्रारंभिक जांच के आधार पर एसीबी ने मंत्रियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए उपराज्यपाल से मंजूरी मांगी थी. लेकिन मंजूरी नहीं मिलने के कारण जांच आगे नहीं बढ़ पा रही था. लेकिन उपराज्यपाल की मंजूरी मिलते ही एसीबी ने मामला दर्ज जांच की गति को तेज कर दिया है. संभावना है कि आने वाले समय में दोनों नेताओं को पूछताछ के लिए समन जारी किया जा सकता है. जांच के दौरान नियमों, टेंडर की शर्तों और निजी ठेकेदारों के साथ मिलीभगत के भी सबूत मिले हैं.