Agriculture: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईएआरआई) का पूसा कृषि विज्ञान मेला शनिवार से शुरू होने जा रहा है. यह मेला सोमवार तक चलेगा. मेले का विषय है उन्नत कृषि-विकसित भारत. इस दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित नयी किस्मों और तकनीक, एफपीओ, उद्यमियों, स्टार्टअप, सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा नयी तकनीकों, उत्पादों और सेवाओं की प्रदर्शनी आयोजित होगी. इस दौरान तकनीकी सत्र और किसानों-वैज्ञानिकों के साथ संवाद, जलवायु अनुकूल कृषि, फसल विविधीकरण, डिजिटल कृषि, युवाओं और महिलाओं का उद्यमिता विकास, कृषि विपणन, किसान संगठन और स्टार्टअप्स, तथा किसानों के इनोवेशन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जायेगी.
मेले के दौरान कृषि वैज्ञानिक जलवायु जोखिम और पोषण के बढ़ते महत्व को देखते हुए हुए पूसा संस्थान में अनुसंधान जलवायु अनुकूल फसल किस्मों और बायो फोर्टिफाइड किस्मों के बारे में किसानों को जानकारी देंगे. वर्ष 2024 के दौरान 10 विभिन्न फसलों में कुल 27 नयी किस्में विकसित की गयी है, जिनमें 7 गेहूं की किस्में, 3 चावल, 8 संकर मक्का, 1 संकर बाजरा, 2 चने की किस्में, 1 अरहर संकर, 3 मूंग दाल किस्में, 1 मसूर की किस्म, 2 डबल जीरो सरसों की किस्में और 1 सोयाबीन की किस्म शामिल हैं.
बदलते जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 10 जलवायु अनुकूल और बायो फोर्टिफाइड किस्मों का विकास किया गया है, जिसमें 7 अनाज और मिलेट, 2 दालें और 1 चारे की फसल शामिल है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान मेले का उद्घाटन करेंगे. इस दौरान कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर और भागीरथ चौधरी भी मौजूद रहेंगे.
कृषि उत्पादन बढ़ाने में है अहम योगदान
देश में बासमती धान उत्पादन और व्यापार बढ़ाने में पूसा का अहम योगदान है. बासमती धान की किस्मों में पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509 और उन्नत बासमती धान की किस्में जिनमें बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है. अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 तक पूसा के बासमती धान के निर्यात से 31488 करोड़ रुपये की आय हुई है. दो छोटे अवधि वाली धान की किस्में पूसा 1824 और पूसा 2090 विकसित की गयी है जो बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए सबसे उपयुक्त है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा छोटे किसानों के लिए एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए एक एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल विकसित किया गया है, जिसमें फसलें, डेयरी, मछली पालन, बतख पालन, बायोगैस संयंत्र, फलदार पेड़ और कृषि वनस्पति शामिल हैं.
इस मॉडल में प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष 379000 रुपये तक की आय होने की संभावना है. देश में सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान ने 48 सब्जी फसलों में 268 सुधारित सब्जी किस्में विकसित की हैं, जिनमें 41 संकर और 227 किस्में शामिल हैं. इसके अलावा बीजों के परीक्षण के लिए ‘स्पीडीसीड वायबिलिटी किट’ का विकास किया गया है, जो 1-4 घंटे के के दौरान अच्छे और खराब बीज की पहचान हो सकेगी.