Alimony: शादी महिला और व्यक्ति दोनों के ही जीवन का एक अहम हिस्सा होता है. शादी के दिन के बाद से दोनों के जीवन में कई बदलाव आते हैं. दोनों ही पक्षों को कई सारी जिम्मेदारियां मिलती हैं. साथ ही कई सारे घरेलू और कानूनी अधिकार भी मिलते हैं. लेकिन किसी वजह से पति-पत्नी अपने रिश्तों को खत्म कर तलाक लेना चाहें तो सबसे ज्यादा चर्चित सवाल जो आता है वह है एलिमोनी को लेकर, मतलब गुजारा भत्ता के संबंध में. आपने आमतौर पर सुना होगा कि तलाक के समय पत्नियों को गुजारा भत्ता मिलता है. लेकिन क्या एक पति अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता की मांग कर सकता है? क्या पतियों को गुजारा भत्ता देने को लेकर भारतीय संविधान में प्रावधान है? चलिए इन सवालों का जवाब जानते हैं.
पतियों को भी मिल सकता है गुजारा भत्ता
भारत संविधान के हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 24 और 25 के तहत पतियों को भी पत्नियों से गुजारा भत्ता की मांग करने का अधिकार है, क्योंकि यह प्रावधान लिंग-निरपेक्ष है. यह प्रावधान पति और पत्नी दोनों को समान रूप से गुजारा भत्ता की मांग करने का अधिकार देता है. लेकिन इसकी कुछ शर्तें हैं. यदि पति या पत्नी में से कोई भी पक्ष जो आर्थिक रूप से कमजोर है और खुद का भरण-पोषण नहीं कर सकता, वह भत्ता की मांग कर सकता है.
इन चीजों को देखते हुए निर्धारित किया जाता है गुजारा भत्ता
भारत में गुजारा भत्ता को लेकर फैसला सुनाने से पहले कई पहलुओं को देखा जाता है. रिश्ता टूटने का कारण से लेकर पति-पत्नी की आर्थिक स्थिति को भी देखा जाता है. हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954, क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872 और मुस्लिम पर्सनल लॉ जैसे कई कानूनों के तहत गुजारा भत्ता का निर्धारण किया जाता है.
आपको बता दें कि गुजारा भत्ता स्थायी या अस्थायी हो सकता है. न्यायलय द्वारा तलाक से पहले पति-पत्नी का लाइफस्टाइल कैसा रहा है, इस पर भी ध्यान दिया जाता है. साथ ही पति या पत्नी की मानसिक या शारीरिक स्थिति सही है या नहीं, यह भी गुजारा भत्ता को प्रभावित कर सकता है. इसके अलावा भी कई और भी पहुलओं को देखा जाता है.
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