Statement of RSS Suresh Bhaiyyaji Joshi: हाल ही में आरएसएस नेता भैयाजी जोशी के एक बयान ने महाराष्ट्र और दक्षिण-भारत में भाषा को लेकर फिर से विवाद खड़ा कर दिया है. भैयाजी जोशी ने दावा किया था कि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की भाषा मराठी नहीं है, और यहां कोई भी बिना मराठी के काम कर सकता है. उनके इस बयान ने राजनीति में हलचल मचा दी है, और शिवसेना (UBT) ने इस पर तीखा विरोध जताया है.
संजय राउत का आक्रामक रुख
शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने ठाणे में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बयान पर हमला बोला. उन्होंने न केवल भैयाजी जोशी को चुनौती दी, बल्कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को भी आड़े हाथों लिया. राउत ने कहा, “क्या आप कोलकाता में जाकर कह सकते हैं कि कलकत्ता की भाषा बंगाली नहीं है? क्या आप चेन्नई में जाकर कह सकते हैं कि यहां की भाषा तमिल नहीं है? क्या आप लखनऊ में जाकर कह सकते हैं कि लखनऊ की भाषा हिंदी नहीं है?”
भैयाजी जोशी के बयान पर सवाल
राउत ने आगे कहा, “आप मुंबई में आकर इस तरह का बयान कैसे दे सकते हैं? क्या आपको महाराष्ट्र की संस्कृति और इतिहास का कोई सम्मान नहीं है? मुंबई, जो मराठी मानुष का गढ़ है, वहां इस तरह की बातें करना पूरी तरह से असंवैधानिक है.” राउत ने यह भी पूछा कि भैयाजी जोशी को इस तरह का बयान देने का अधिकार किसने दिया?
सीएम और डिप्टी सीएम की चुप्पी पर सवाल
संजय राउत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, “आप महाराष्ट्र के सबसे बड़े पदों पर बैठे हुए हैं, लेकिन इस मामले में चुप हैं. क्या आप भी इस तरह की सोच को बढ़ावा देने वाले हैं?” राउत ने यह भी आरोप लगाया कि भैयाजी जोशी और उनकी पार्टी की मंशा मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना है, और यह उनके बयान से स्पष्ट हो गया है.
मराठी भाषा का हो सम्मान – संजय राउत
राउत ने मराठी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “हमने मराठी भाषा के लिए बहुत बलिदान दिए हैं. चाहे वह बालासाहेब ठाकरे का संघर्ष हो, या फिर छत्रपति शिवाजी महाराज का राजनैतिक और सैन्य संघर्ष – इन सभी का केंद्र मराठी भाषा और संस्कृति रही है.”
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