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Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी के वो 5 बड़े काम, जिसने बदल दी भारत की दशा-दिशा

अटल बिहारी वाजपेयी चार राज्यों की छह लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले देश के एकमात्र नेता थे. उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से उन्होंने चुनाव जीता था.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि
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Atal bihari vajpayee death anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी के वो 5 बड़े काम, जिसने बदल दी भारत की दशा-दिशा 3

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है. पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम को ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की. 16 अगस्त 2018 को वाजयेपी ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली थी. 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्में अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रसिद्ध राजनेता के साथ-साथ एक महान कवि भी थे. अटल बिहारी वाजपेयी को आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है. उन्होंने ऐसे-ऐसे काम किये, जिसने भारत की दशा-दिशा ही बदलकर रख दी.

चार राज्यों की छह लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले देश के एकमात्र नेता

अटल बिहारी वाजपेयी चार राज्यों की छह लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले देश के एकमात्र नेता थे. उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से उन्होंने चुनाव जीता था.

सर्व शिक्षा अभियान

सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत वाजपेयी जी ने ही की थी. 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का अभियान अटल बिहारी वाजपेयी ने 2000-2001 में शुरू की थी. पूर्व प्रधानमंत्री के इस युगांतकारी स्कीम की सफलता को इसी बात से समझा जा सकता है कि इसने देश में शिक्षा की नयी क्रांति ला दी. इस योजना से उनके लगाव को इसी बात से समझा जा सकता है कि इसकी थीम ‘स्कूल चले हम’ को उन्होंने खुद से लिखी थी.

पोखरण परमाणु परीक्षण

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पोखरण में परमाणु परीक्षण के लिए भी सदैव याद किया जाता रहेगा. मई 1998 में पोखरण में परमाणु परिक्षण किया था. वाजपेयी ने यह परीक्षण यह दिखाने के लिए किया था कि भारत भी परमाणु संपन्न देश है. हालांकि इसकी आलोचना भी हुई थी, बावजूद वाजपेयी अपने इरादे पर अटल रहे. इस परीक्षण के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और कई पश्चिमी देशों ने भारत पर आर्थिक पांबदी लगा दी थी. लेकिन वाजपेयी की कूटनीति कौशल के कारण 2001 के आते-आते ज्यादातर देशों ने सारी पाबंदियां हटा लीं.

पोटा कानून

अटल बिहारी वाजपेयी जब देश के प्रधानमंत्री थे, उसी समय 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर पांच चरमपंथियों ने हमला कर दिया था. हालांकि उस हमले में किसी नेता को कोई नुकसान नहीं हुआ था और सभी चरमपंथी मारे गये. उस हमले में देश ने कुछ बहादुर जवानों को जरूर खोया. उस घटना को भारतीय संसदीय इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है. आतंकी हमले के बाद देश में आतंरिक सुरक्षा को मजबूत बनाने की मांग उठने लगी थी. उसी समय अटल बिहारी वाजपेयी ने पोटा कानून लाया था. पोटा आतंकवाद के खिलाफ सबसे सख्त कानून था. जिसे टाडा कानून के मुकाबले कड़ा कानून माना गया. दो साल में ही इस कानून के तहत 800 लोगों को गिरफ्तार किया गया. 4000 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराये गये. इस कानून की जमकर आलोचना हुई. बाद में जब 2004 में यूपीए की सरकार केंद्र में आयी तो इस कानून को निरस्त कर दिया गया.

भारत को जोड़ने की पहल

प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत को जोड़ने की पहल के रूप में जाना जाता है. उन्होंने भारत को एक सूत्र में बांधने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना की शुरुआत की. जिसके तहत चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को जोड़ा गया. यही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत भी की. जिसके कारण गांवों को शहर से जोड़ा गया. इस योजना ने देश के आर्थिक विकास को रफ्तार दी.

संचार क्रांति का दूसरा चरण

देश में संचार क्रांति का जनक भले ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को माना जाता है. लेकिन उसे आम लोगों तक पहुंचाने का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को माना जाता है. 1999 में वाजपेयी ने नई टेलिकॉम नीति लागू की थी. हालांकि इसके पीछे प्रमोद महाजन का दिमाग बताया जाता है. इस नीति का लाभ आम लोगों को हुआ और लोगों को सस्ती दरों में फोन कॉल्स करने का लाभ मिला. बाद में सस्ती दर पर मोबाइल फोन भी बाजार में आ गये.

ArbindKumar Mishra
ArbindKumar Mishra
मुख्यधारा की पत्रकारिता में 14 वर्षों से ज्यादा का अनुभव. खेल जगत में मेरी रुचि है. वैसे, मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर काम करता हूं. झारखंड की संस्कृति में भी मेरी गहरी रुचि है. मैं पिछले 14 वर्षों से प्रभातखबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इस दौरान मुझे डिजिटल मीडिया में काम करने का काफी अनुभव प्राप्त हुआ है. फिलहाल मैं बतौर शिफ्ट इंचार्ज कार्यरत हूं.

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