24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bird Flu: बर्ड फ्लू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक तीन-स्तरीय रणनीति पर हो रहा है काम

रोग पर नजर रखने और नियंत्रण को बढ़ाने के लिए पोल्ट्री फार्मों को एक महीने के अंदर राज्य पशुपालन विभाग से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने पोल्ट्री क्षेत्र की रक्षा खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए बर्ड फ्लू के खिलाफ सख्त जैव सुरक्षा, वैज्ञानिक निगरानी और जिम्मेदार उद्योग प्रथाओं का पालन करने का निर्देश दिया है.

Bird Flu: देश में बर्ड फ्लू के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए सरकार पुख्ता तैयारी में जुट गयी है. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने देश में हाल ही में एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) के मौजूदा हालात और उससे निपटने के उपायों को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में विशेषज्ञ, पोल्ट्री उद्योग के प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं ने एवियन इन्फ्लूएंजा की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की और बीमारी को नियंत्रित करने और इसके प्रसार को रोकने के लिए अपनायी जाने वाली रणनीति पर चर्चा की. सभी हितधारकों से चर्चा के बाद पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने बर्ड फ्लू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक तीन-स्तरीय रणनीति अपनाने का निर्णय लिया. इसके तहत सख्त जैव सुरक्षा उपाय, जिसके तहत पोल्ट्री फार्मों को स्वच्छता पर विशेष फोकस, फार्म तक पहुंच को नियंत्रित करने और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए कड़े जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने पर सहमति बनी. 

पोल्ट्री फार्मों का पंजीकरण अनिवार्य 

रोग पर नजर रखने और नियंत्रण को बढ़ाने के लिए पोल्ट्री फार्मों को एक महीने के अंदर राज्य पशुपालन विभाग से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. बैठक को संबोधित करते हुए पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने कहा कि पोल्ट्री क्षेत्र की रक्षा खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है. बर्ड फ्लू के खिलाफ सख्त जैव सुरक्षा, वैज्ञानिक निगरानी और जिम्मेदार उद्योग प्रथाओं का पालन करना बेहद जरूरी है. प्रारंभिक चेतावनी और पर्यावरणीय निगरानी के लिए एक पूर्वानुमान आधारित मॉडलिंग प्रणाली विकसित करना होगा, जिससे रोग के खतरे को कम किया जा सके.  

दूसरे पशु और पक्षी भी हो रहे हैं प्रभावित


बर्ड फ्लू अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो पक्षियों को प्रभावित करती है. भारत में इसकी पहली पहचान 2006 में हुई थी, और तब से हर साल कई राज्यों में इसके प्रकोप की खबरें आती रहती है. इस साल वायरस ने क्रॉस-स्पीशीज ट्रांसमिशन दिखाया है, जिसका प्रभाव न केवल पोल्ट्री पर बल्कि जंगली पक्षियों और कुछ क्षेत्रों में बड़ी बिल्लियों पर भी पड़ा है. मौजूदा समय में झारखंड, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में छह सक्रिय प्रकोप क्षेत्र बने हुए हैं. जबकि आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र भी इससे प्रभावित हैं. झारखंड में बोकारो और पाकुड़ सक्रिय प्रकोप क्षेत्र में हैं. बिहार में इसका असर कौओं पर भी दिखा है, जबकि महाराष्ट्र में बाघ, गिद्ध, कौआ, तेंदुआ, बाज और बगुला, महाराष्ट्र में पालतू बिल्ली में इसका असर पाया गया है. 

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की ओर से इसके प्रसार को नियंत्रित करने और रोकने के लिए कई पहल की गयी है. देश में पता लगाना और मारना की सख्त नीति का पालन किया जाता है, जिसमें संक्रमित पक्षियों को मारना, आवाजाही को प्रतिबंधित करना और प्रकोप के एक किलोमीटर के दायरे में क्षेत्रों को कीटाणुरहित करना शामिल है. संभावित महामारी से लड़ने के वैश्विक प्रयास में भारत ने एच5एन1 आइसोलेट्स और संबंधित नमूनों के अनुक्रमण डेटा को अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के साथ साझा किया है. 

राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल के साथ केंद्रीय टीमों को प्रकोपों के प्रबंधन के लिए तैनात किया जा रहा है और राज्य पशुपालन विभागों और स्वास्थ्य और वन्यजीव विभागों सहित अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ नियमित समन्वय बैठक आयोजित की जा रही हैं. पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना के तहत सरकार मारे गए पक्षियों, नष्ट किए गए अंडों और चारे के लिए प्रभावित किसानों को मुआवजा देती है, जिसमें केंद्र और राज्यों के बराबर अंशदान करते हैं. 

Acg8Ockhcaqce58Ktry394Fxkh0Ojjw2Zyecfpk1U72Xdv Wfa0Jig=S40 P MoReplyForward

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel