BJP: दिल्ली में सड़कों के नाम बदलने को लेकर राजनीति एक बार फिर से गर्मा गई है. इस बार भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने अपने सरकारी आवास की नेमप्लेट पर ‘स्वामी विवेकानंद मार्ग’ लिख दिया है, जबकि आधिकारिक रूप से इस सड़क का नाम अभी तक बदला नहीं गया है. तुगलक लेन पर स्थित इन नेताओं के घरों के बाहर लगी नई नेमप्लेट चर्चा का विषय बन गई है और इसे लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.
सांसद दिनेश शर्मा की सोशल मीडिया पोस्ट
सांसद दिनेश शर्मा ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उन्होंने नई दिल्ली स्थित अपने नए सरकारी आवास ‘6-स्वामी विवेकानंद मार्ग (तुगलक लेन)’ में विधि-विधान से गृह प्रवेश किया. उन्होंने इस अवसर की तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें उनके घर के बाहर लगी नेमप्लेट साफ दिख रही है, जिस पर ‘स्वामी विवेकानंद मार्ग’ लिखा है. इसके बाद से यह मामला चर्चा का विषय बन गया और राजनीतिक गलियारों में इसकी गूंज सुनाई देने लगी.
सड़क का नाम बदलने की प्रक्रिया
दिल्ली में किसी भी सड़क या जगह का नाम बदलने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है. इसके लिए नई दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल (NDMC) को एक प्रस्ताव भेजा जाता है. यह प्रस्ताव आमतौर पर विदेश मंत्रालय, किसी गैर-सरकारी संगठन (NGO) या स्थानीय निवासियों द्वारा दिया जा सकता है.
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जब एनडीएमसी को यह प्रस्ताव मिलता है, तो इसे जनरल विभाग को भेजा जाता है. इसके बाद एनडीएमसी की 13 सदस्यीय समिति इस प्रस्ताव पर विचार करती है. इस समिति का काम ही नामकरण से जुड़े प्रस्तावों की समीक्षा करना होता है. अगर समिति नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो इसकी सूचना एनडीएमसी के पोस्ट मास्टर जनरल को दी जाती है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार, किसी सड़क या स्थान का नाम बदलने के लिए स्थानीय निवासियों की भावनाओं और ऐतिहासिक पहलुओं का सम्मान करना जरूरी होता है. इसके अलावा, नामकरण ऐसा होना चाहिए जिससे कोई भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो.
राजनीतिक हलचल और विवाद
इस मामले ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है. चूंकि यह नामकरण अभी आधिकारिक रूप से स्वीकृत नहीं हुआ है, इसलिए इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह केवल एक व्यक्तिगत पहल है, जबकि अन्य इसे राजनीतिक कदम बता रहे हैं. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली में किसी सड़क या स्थान का नाम बदलने को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो. इससे पहले भी कई बार इस तरह की मांगें उठ चुकी हैं. अब देखना होगा कि क्या एनडीएमसी इस प्रस्ताव को आधिकारिक रूप से स्वीकार करती है या यह सिर्फ नेताओं की निजी पहल तक ही सीमित रहेगा.
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