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कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जब मामला कोर्ट में तो प्रदर्शन क्यों ?

Farmers Protests: एक बार आपने कोर्ट में कानूनों को चुनौती दे दी है, तो प्रदर्शन करने का क्या मतलब है. अब मामला कोर्ट के अधीन है. आप कोर्ट में कानूनों को चुनौती भी दे रहे हैं और सड़क पर प्रदर्शन भी कर रहे हैं.

नयी दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और आंदोलन को सोमवार को झटका लगा. सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन कर रहे 43 किसान संगठनों से पूछा कि जब मामला कोर्ट में है, तो फिर सड़क पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एवं नोएडा की सड़कों पर किसान आंदोलन की वजह से लोगों को हो रही परेशानी से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किया.

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने कहा है कि किसानों ने पहले ही संविधान पीठ में मामला दाखिल कर रखा है. ऐसे में हमें इस बात की जांच करनी होगी कि लगातार किसानों को सड़कों पर आंदोलन करने की अनुमति दी जा सकती है या नहीं. दरअसल, किसान महापंचायत ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी.

सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत की याचिका पर सुनवाई के दौरान किसानों से पूछा कि एक बार आपने कोर्ट में कानूनों को चुनौती दे दी है, तो प्रदर्शन करने का क्या मतलब है. अब मामला कोर्ट के अधीन है. आप कोर्ट में कानूनों को चुनौती भी दे रहे हैं और सड़क पर प्रदर्शन भी कर रहे हैं. कोर्ट में आपने अपने अधिकार का इस्तेमाल कर लिया. हमने कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक भी लगा दी. फिर आपको प्रदर्शन की अनुमति क्यों मिलनी चाहिए?

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सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा है कि किसानों को एक रास्ता चुनना होगा. कहा कि किसानों को या तो संसद के रास्ते अपनी समस्या का हल ढूंढ़ना होगा या कोर्ट के जरिये. तीसरा रास्ता प्रदर्शन का मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि किसान कोर्ट से भी समाधान मांगें और सड़क जाम भी करें. इसके साथ ही सुनवाई की अगली तारीख 21 अक्टूबर मुकर्रर कर दी.

सुनवाई के दौरान किसान महापंचायत ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों से उनका कोई लेना-देना नहीं है. वे शांतिपूर्वक जंतर-मंतर पर धरना देना चाहते हैं. उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई अराजक घटना के बाद इन्होंने अपने आपको उन संगठनों से अलग कर लिया था. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में दिल्ली-उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं पर हजारों किसानों ने 10 महीने से डेरा डाल रखा है.

किसानों से जज ने किये सवाल

किसान महापंचायत के प्रतिनिधियों से सुप्रीम कोर्ट के जज ने पूछा कि आप किसके विरोध में प्रदर्शन करेंगे? हमने कृषि कानूनों पर अभी रोक लगा रखी है. अभी कोई कानून अमल में नहीं है. जब कानून ही नहीं है, तो प्रदर्शन क्यों? जब आप समाधान के लिए कोर्ट में आ गये हैं, तो किसी को सड़क पर नहीं होना चाहिए. जस्टिस खानविलकर ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान जब किसी की मौत होती है या संपत्ति का नुकसान होता है, तो उसकी कोई उसकी जिम्मेदारी नहीं लेता.

Posted By: Mithilesh Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
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