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CAG Report: आबकारी नीति पर आयी कैग रिपोर्ट आप के लिए बनेगी मुसीबत

दिल्ली की भाजपा सरकार ने वर्षों से लंबित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग की 2017 से 2022 के बीच दिल्ली की आबकारी नीति पर रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश किया. इस कैग रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी की सरकार पर नयी आबकारी नीति में नियमों की अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

CAG Report: दिल्ली में सरकार बदलने के साथ ही आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल का दौर शुरू हो गया है. दिल्ली की भाजपा सरकार ने वर्षों से लंबित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग की 2017 से 2022 के बीच दिल्ली की आबकारी नीति पर रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश किया. इस कैग रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी की सरकार पर नयी आबकारी नीति में नियमों की अनदेखी करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि गुणवत्ता नियंत्रण, लाइसेंसिंग, मूल्य निर्धारण और नीतियों का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं किया गया है. नीति को लागू करने में सक्षम अधिकारी की मंजूरी नहीं लगी गयी और सरकार ने मनमाने फैसले लिए. इस फैसले के कारण दिल्ली सरकार के राजस्व को 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ.

भाजपा और कांग्रेस पहले से आरोप लगाते रहे हैं कि दिल्ली में नयी आबकारी नीति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया और भ्रष्टाचार का लाभ आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं को मिला. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह को जेल भी जाना पड़ा. सबसे बड़ी बात है कि हाल में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार के आरोपों का सियासी नुकसान भी उठाना पड़ा है. 


आने वाला समय आप के लिए परेशानी का बन सकता है सबब

आम आदमी पार्टी पर कैग रिपोर्ट को दबाने का आरोप लगता रहा है. रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए भाजपा के विधायकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने दिल्ली सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की. हालांकि अदालत ने चुनाव की घोषणा को देखते हुए विधानसभा के पटल पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश देने से इंकार कर दिया. चुनाव के दौरान भाजपा ने लंबित कैग रिपोर्ट को बढ़ा मुद्दा बनाया और वादा किया कि सरकार बनने पर पहले सत्र में इसे पेश किया जायेगा. भाजपा ने वादा को पूरा करते हुए कैग रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश कर दिया. रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए आने वाला समय परेशानी का सबब बन सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्रीय लाइसेंस जारी करने और इसके प्रबंधन में कमियां थी. आम आदमी पार्टी की सरकार ने एक खास वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए काम किया. भले ही आम आदमी पार्टी रिपोर्ट को राजनीतिक करार दे, लेकिन इससे पार्टी की साख पर असर पड़ना तय है. आने वाले समय में केजरीवाल और अन्य नेताओं पर इस मामले में कानूनी शिकंजा कसना तय है. 

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