Chamoli Avalanche: उत्तराखंड में जारी भारी बर्फबारी के बीच चमोली जिले माणा गांव में हिमस्खलन में फंसे 57 मजदूरों में से 32 को सुरक्षित निकाल लिया गया है. लगातार हो रही बर्फबारी के कारण रेस्क्यू में काफी परेशानी हो रही है. राहत और बचाव में लगी टीम का कहना है कि घुटने तक बर्फ जम जा रहा है, जिसके कारण रेस्क्यू में काफी परेशानी हो रही है. प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शाम पांच बजे तक हिमस्खलन में फंसे 32 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. जबकि, बचे हुए 25 अन्य मजदूरों को निकालने की कवायद जारी है. खबर है कि शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी घटनास्थल पर जाने वाले हैं.
हिमस्खलन में दब गये थे बीआरओ के मजदूर
शुक्रवार को माणा और बदरीनाथ के बीच में स्थित बीआरओ के मजदूरों के कैंप पर भारी हिमस्खलन हुआ था जिससे मजदूर बर्फ में दब गए थे . घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस, सेना, सीमा सड़क संगठन, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे. इसके बाद जोर-शोर से राहत और बचाव कार्य शुरू किया. हालांकि खराब मौसम और लगातार बर्फबारी के कारण रेस्क्यू टीम को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे बड़ी राहत यही है कि अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है.
बर्फबारी के कारण रेस्क्यू में हो रही परेशानी
उत्तराखंड के चमोली में बर्फबारी जारी है. इस कारण राहत और बचाव में काफी परेशानी हो रही है. बचावकर्मियों का कहना है कि खराब मौसम के कारण बचाव अभियान में खासी परेशानी हो रही है. 10 घायल लोगों का ITBP और सेना के एमआई कमरों में इलाज किया जा रहा है. खराब मौसम की चुनौतियों के बावजूद फंसे हुए बाकी श्रमिकों का पता लगाने और उन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक बदरीनाथ से करीब तीन किलोमीटर दूर माणा भारत तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है जो 3200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हादसा स्थल हिमस्खलन की दृष्टि से शीतकाल में खतरनाक माना जाता रहा है इसलिए पूर्व में इस कैंप से लोगों को हटाकर बदरीनाथ में रखा जाता था. इसी कड़ी में माणा के गांव प्रधान पिताम्बर सिंह ने बताया कि इस बार बर्फ नहीं गिरने से कैंप बंद नहीं किया गया था. लेकिन, शुक्रवार को अचानक हिमस्खलन हो गया जिसकी जद में मजदूर आ गए. बद्रीनाथ धाम, नर और नारायण पर्वत की तलहटी पर बसा है जिसके बीचों बीच अलकनंदा नदी प्रवाहित होती है. हादसा नर पर्वत से आए हिमस्खलन के कारण हुआ.
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