CM Visit: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रविवार को दिल्ली आने का कार्यक्रम है. अपने दिल्ली दौरे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं की गयी है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि पीएम और सीएम के मुलाकात के बाद बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी तेज हो जायेगी. बताया जा रहा है कि केंद्रीय बजट में बिहार को जितना तरजीह मिला है, उसके लिए मुख्यमंत्री खासतौर पर पीएम का धन्यवाद करेंगे. साथ ही बिहार के लिए कुछ लंबित परियोजना और आने वाले दिनों में और अधिक राशि केंद्र से लिये जाने पर भी बात करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 24 फरवरी को भागलपुर जाने का कार्यक्रम है, जहां वे पीएम किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी करेंगे. साथ ही कई नयी परियोजनाओं का भी आधारशिला रख सकते हैं. जिससे आने वाले दिनों में एनडीए को चुनावी लाभ भी मिल सके.
सर्वमान्य फार्मूला तय करने का बनेगा खाका
सूत्र बताते हैं कि इस मुलाकात में नीतीश कुमार के साथ भाजपा के शीर्ष नेता बात कर विधानसभा चुनाव की तैयारियों का एक रोडमैप खीचेंगे.इस बातचीत में एनडीए के सभी घटकों के एक साथ चुनाव लड़ने और सीटों के एडजस्टमेंट पर भी बात हो सकती है. एनडीए में सबसे ज्यादा जोर शीट शेयरिंग को लेकर है. एक ओर जदयू जहां प्रतीकात्मक रूप से ही सही भाजपा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है, वहीं भाजपा जदयू से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के पक्ष में है. जदयू का तर्क जहां लोकसभा में भाजपा को ज्यादा सीट देने और विधानसभा में जदयू को ज्यादा सीट मिलने की पुरानी परंपरा और औचित्य को याद करा रही है, वहीं भाजपा इस फॉर्मूले पर असहज है.
भाजपा का मानना है कि बिहार में भाजपा बड़ी पार्टी है, इसलिये उसे ज्यादा सीट मिलना चाहिए. जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है, तो जदयू को ज्यादा सीट आये या कम, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे. भाजपा पशुपति कुमार पारस और मुकेश सहनी को भी एनडीए में लाने के पक्ष में है. पहले से ही चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी एनडीए में है. चूंकि इन सभी दलों के साथ सीट का एडजस्टमेंट करना भी इतना आसान नहीं दिख रहा है. क्योंकि भाजपा और जदयू दोनों के अपने-अपने दावे हैं. चिराग पासवान की पार्टी को भी सम्मानजनक सीट की उम्मीद है. ऐसे में इन सारे मुद्दों पर पहले भाजपा और जदयू के बीच बातचीत होगी, उसके बाद अन्य दलों के साथ बातचीत कर आगे की रणनीति तैयार की जायेगी.