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CM Yogi: सुप्रीम कोर्ट में हुई सीएम योगी की बड़ी जीत, नहीं होगी मुख्तार अंसारी के मौत की जांच

CM Yogi: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बड़ी राहत दी है. माफिया और विधायक रहे मुख्तार अंसारी के मौत से जुड़ी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मुख्यार के बेटे उमर की याचिका को हस्तक्षेप योग्य नहीं माना.

CM Yogi: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत मिली है. दरअसल, माफिया और विधायक रहे मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने उसकी मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सर्वोच्च न्यायलय ने पिछले दिनों सुनवाई के दौरान “हस्तक्षेप योग्य न मानते हुए” खारिज कर दिया. 

उमर ने की थी एसआईटी जांच की मांग

बता दें कि माफिया और विधायक रहे मुख्तार अंसारी की 28 मार्च 2024 की बांदा जेल में इलाज के दौरान  मौत हो गई थी. जिसके बाद उसके छोटे बेटे उमर अंसानी ने इस मौत को संदिग्ध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उसने अपनी याचिका में मौत की एफआईआर दर्ज कराने और एसआईटी (विशेष जांच दल) के गठन की मांग की थी.  लेकिन अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह मामला जांच या हस्तक्षेप के योग्य नहीं है.

65 से अधिक केस में आरोपी था मुख्तार

बता दें कि मुख्तार अंसारी का नाम उत्तर प्रदेश के सबसे कुख्यात अपराधियों में शुमार रहा है. गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद निवासी मुख्तार पर हत्या, अपहरण, रंगदारी, जबरन वसूली, गैंगस्टर एक्ट और एनएसए समेत 65 से अधिक मुकदमे दर्ज थे. 1980 के दशक से सक्रिय मुख्तार अंसारी ने संगठित अपराध की दुनिया में कदम रखा और बाद में राजनीति को भी अपना हथियार बनाया. उसके खिलाफ दर्ज प्रमुख मामलों में कृष्णानंद राय हत्याकांड, जेलर मर्डर केस और रुगटा हत्याकांड जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं. उसे उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों से अब तक आठ मामलों में सजा सुनाई जा चुकी थी. इनमें से दो मामलों में आजीवन कारावास और शेष में 5 से 10 वर्ष तक की सजाएं दी गई थीं.

5 बार विधायक रहा है मुख्तार

मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से कुल 5 बार विधायक बना. इसमें उसने दो बार बसपा, एक बार कौमी एकता दल और बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की. 

1996 – BSP के टिकट पर पहली बार विधायक बना. 

2002 – निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता. 

2007 – फिर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की. 

2012 – कौमी एकता दल के टिकट पर विधायक बना. 

2017 – BSP में वापसी के बाद मऊ से फिर से विधायक चुना गया.  

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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