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Co-operative: देश के सहकारिता क्षेत्र के तहत बन रही है सबसे बड़ी अन्न भंडारण क्षमता

देश के सबसे अन्न भंडार योजना को अमली जामा पहनाने के लिए विभिन्न मौजूदा योजनाओं, जैसे कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण योजना (पीएमएफएमई) के सहयोग से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के स्तर पर गोदाम, कस्टम हायरिंग केंद्र, प्रसंस्करण इकाइयों, उचित मूल्य की दुकानों आदि सहित विभिन्न कृषि अवसंरचनाओं का निर्माण करना है.

Co-operative: देश में हर साल उचित भंडारण की कमी के कारण लाखों करोड़ रुपये के खाद्य उत्पाद बर्बाद हो जाते हैं. इस बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 31 मई, 2023 को सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी थी.

सरकार ने यह योजना को पायलट प्रोजेक्ट पर लागू करने का काम किया. देश के सबसे अन्न भंडार योजना को अमली जामा पहनाने के लिए  विभिन्न मौजूदा योजनाओं, जैसे कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारीकरण योजना (पीएमएफएमई) के सहयोग से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के स्तर पर गोदाम, कस्टम हायरिंग केंद्र, प्रसंस्करण इकाइयों, उचित मूल्य की दुकानों आदि सहित विभिन्न कृषि अवसंरचनाओं का निर्माण करना है.

पायलट प्रोजेक्ट के तहत 11 राज्यों के 11 पैक्स में गोदामों का निर्माण पूरा हो चुका है. परियोजना के तहत गोदाम निर्माण के लिए 500 से अधिक पैक्स की पहचान की गई है और दिसंबर 2026 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार ने नयी बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को स्वीकृति दी गयी है. इसका मकसद आने वाले पांच साल में देश की सभी पंचायतों और गांवों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है.

इस काम में नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी और राज्य, केंद्र शासित प्रदेश सरकार मदद कर रही है. राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार 15 फरवरी, 2023 को योजना को मंजूरी मिलने के बाद 30 जून, 2025 तक देश भर में कुल 22933 नयी बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां पंजीकृत की गयी है, जिनमें 5937 एम-पैक्स शामिल हैं. 

पैक्स को आधुनिक बनाने की पहल

पैक्स को मजबूत करने के लिए सरकार ने 2925.39 करोड़ रुपए के लागत से पैक्स के कंप्यूटरीकरण की परियोजना को मंजूरी दी गयी. इस परियोजना के तहत देश के सभी चालू पैक्स को एक साझा ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर से जोड़ना और  उन्हें राज्य सहकारी बैंकों और जिला सहकारी बैंकों के जरिये नाबार्ड से जोड़ना शामिल है. इस परियोजना के तहत 31 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 73492 पैक्स को मंजूरी दी गयी और कुल 59920 पैक्स को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर जोड़ा जा चुका है.

पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना के तहत कर्नाटक से कुल 5628 पीएसीएस को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 3765 को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर शामिल किया जा चुका है और 5491 पैक्स में हार्डवेयर वितरित किया गया है. सहकारिता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में 45, बिहार में 39 नये पैक्स के गठन को मंजूरी दी गयी. लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह जानकारी दी.

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