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Congress: मतदाता पुनरीक्षण से बिहार के करोड़ों मतदाता मतदान से होंगे वंचित

बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे कम से कम 20 फीसदी मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से कट जायेगा. इस बात को चुनाव आयोग भी मानता है. बिहार को प्राकृतिक तौर पर दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. उत्तरी बिहार और दक्षिणी बिहार. दक्षिण बिहार सूखे से प्रभावित होता है तो उत्तरी बिहार हर साल बाढ़ का सामना करता है. मानसून में मतदाता पुनरीक्षण का काम क्या चुनाव आयोग नाव से करेगा.

Congress: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण करने के चुनाव आयोग के फैसले पर राजनीति जारी है. विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची के गहण पुनरीक्षण से करोड़ों मतदाताओं का नाम हट सकता है. इस बाबत विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मुलाकात कर इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया था. विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव में अधिक समय नहीं है और ऐसे में कम समय में 8 करोड़ मतदाताओं का पुनरीक्षण करना मुश्किल है. आयोग के इस फैसले से करोड़ों गरीब, पिछड़े और प्रवासी मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं. गुरुवार को कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम में चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे कम से कम 20 फीसदी मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से कट जायेगा. इस बात को चुनाव आयोग भी मानता है.

उन्होंने कहा बिहार को प्राकृतिक तौर पर दो हिस्सों में बांटा जा सकता है. उत्तरी बिहार और दक्षिणी बिहार. दक्षिण बिहार सूखे से प्रभावित होता है तो उत्तरी बिहार हर साल बाढ़ का सामना करता है. ऐसे में मॉनसून के समय में मतदाता पुनरीक्षण का फैसला क्यों लिया गया. क्या चुनाव आयोग नाव से जाकर मतदाताओं की पहचान करेगा. बिहार की त्रासदी है कि तीन करोड़ लोग काम के लिए पलायन कर चुके हैं. उन मतदाताओं को कैसे खोजा जायेगा. बारिश में कई परिवार पंजाब, हरियाणा में काम करने के लिए चले जाते हैं. ऐसे में चुनाव आयोग ऐसे मतदाताओं का नाम किस आधार पर हटा सकता है. 


मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया नहीं है पारदर्शी 

चुनाव आयोग की विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया व्यवहारिक नहीं है. कम समय में करोड़ों मतदाताओं का पुनरीक्षण करना संभव नहीं है. बूथ लेवल एजेंट को इस काम में लगाया गया है. एक बीएलओ के पास हजारों मतदाता की जिम्मेदारी है. साथ ही इन्हें संसाधन भी मुहैया नहीं कराया गया है. ऐसा लगता है कि यह मतदाताओं को सूची से बाहर करने की सोची-समझी साजिश है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार की एनडीए सरकार पिछले 20 साल से सत्ता पर काबिज है. सरकार के पास इस काम काे पूरा कराने के लिए सक्षम कर्मचारी और अधिकारी नहीं है. ऐसे में आयोग को बताना चाहिए कि 25 दिन में इस काम को कैसे पूरा किया जायेगा.

उन्होंने कहा कि बिहार में डिजिटल लिटरेसी काफी कम है. साथ ही गरीबी भी काफी है. ऐसे में कई मतदाताओं के पास जरूरी कागजात भी नहीं है. बिहार में जन्म पंजीकरण राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. इस प्रक्रिया से सिर्फ भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार हर काम में आधार से जोड़ रही है, लेकिन मतदाता सूची को आधार से क्यों नहीं जोड़ा जा रहा है. इस दौरान प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा भी मौजूद रहे.

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