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Congress: प्रधानमंत्री बताएं सीजफायर का फैसला अचानक किसके दबाव में लिया गया

भारत और पाकिस्तान का मामला हमेशा से द्विपक्षीय रहा है. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्यस्थता करने का बयान काफी गंभीर है. भारत की नीति शिमला समझौते के बाद से द्विपक्षीय मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप के विरोध में रही है, ऐसे में ट्रंप का बयान गंभीर चिंता के विषय हैं.

Congress: भारत-पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद उपजे तनाव को कम करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता और संघर्ष विराम से जुड़े बयान पर कांग्रेस ने चिंता जाहिर की. कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में जवाब देना चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति के अचानक सीजफायर की घोषणा से पूरा देश स्तब्ध रह गया. ऐसा लगता है कि अमेरिका की नजर में भारत और पाकिस्तान एक समान है. मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को निराशाजनक बताते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान का मामला हमेशा से द्विपक्षीय रहा है. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्यस्थता करने का बयान काफी गंभीर है.

ट्रंप ने साफ कहा कि दोनों देशों को व्यापार बंद करने का डर दिखाकर संघर्ष विराम करने को कहा गया. भारत की नीति शिमला समझौते के बाद से द्विपक्षीय मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप के विरोध में रही है, ऐसे में ट्रंप के यह बयान गंभीर चिंता का विषय हैं. गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर अमेरिका के दबाव में स्थगित किया गया? अगर सीजफायर करना ही था तो प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री स्तर पर बात होनी चाहिए थी, जिसमें पाकिस्तान से उसकी धरती पर आतंकी अड्डे को समाप्त करने का भरोसा लेना चाहिए था. 


सर्वदलीय बैठक में भारत का रुख स्पष्ट करें प्रधानमंत्री

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मुश्किल घड़ी में केंद्र सरकार का साथ दिया, लेकिन अचानक संघर्ष विराम से सब कुछ बदल गया. पाकिस्तान में पनपने वाले आतंकवाद को जड़ से खत्म करने का सुनहरा मौका गंवा दिया गया. भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पाकिस्तान भविष्य में आतंकी हमले के समर्थन देने के काबिल नहीं रहे. लेकिन अचानक संघर्ष विराम से देश हैरान रह गया. 

गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि विपक्ष के समर्थन के बावजूद वे सर्वदलीय बैठक में क्यों शामिल नहीं हुए.आगे होने वाली सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री आएंगे तो देश में अच्छा संदेश जाएगा. साथ ही सरकार को यह बताना चाहिए कि पहलगाम हमले के बाद भारत के साथ कितने देश खड़े रहे. जबकि अजरबैजान व तुर्की पाकिस्तान के साथ खुलकर खड़े दिखे.

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