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Congress: संघ ने कभी संविधान को नहीं किया स्वीकार

आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने गुरुवार को कहा कि 'संविधान में समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द जबरन डाले गए और इसपर विचार किया जाना चाहिए. संघ के बयान पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि आरएसएस और भाजपा कई बार संविधान समीक्षा की बात कह चुके है. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 सीट जीतने का नारा दिया था और उसकी कोशिश संविधान बदलने की थी. लेकिन देश की जनता ने भाजपा के मंसूबे को नाकाम कर दिया.

Congress: आपातकाल के 50 साल पूरे होने के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) ने संविधान के प्रस्तावना में शामिल धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द की समीक्षा की मांग की थी. आरएसएस का कहना है कि संविधान निर्माता बाबा साहेब के संविधान में कहीं भी इन शब्दों का जिक्र नहीं किया गया है. आरएसएस की मांग पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि संघ ने संविधान को कभी स्वीकार नहीं किया.

संघ की सोच मनुस्मृति पर आधारित है. इसलिए उसने संविधान को कभी पसंद नहीं किया. आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने गुरुवार को कहा कि ‘संविधान में समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द जबरन डाले गए और इसपर विचार किया जाना चाहिए.  संघ के बयान पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि आरएसएस और भाजपा कई बार संविधान समीक्षा की बात कह चुके है.

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 सीट जीतने का नारा दिया था और उसकी कोशिश संविधान बदलने की थी. लेकिन देश की जनता ने भाजपा के मंसूबे को नाकाम कर दिया. संविधान के मूल ढांचे को बदलने की मांग आरएसएस लगातार करता रहा है. जयराम ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने 25 नवंबर, 2024 को इस बाबत एक फैसला सुनाया था. संघ को इस फैसले का सही तरीके से अध्ययन करना चाहिए.  

भाजपा फिर से संविधान लिखने की कर रही है कोशिश

भाजपा और संघ की संविधान के प्रति नफरत नयी नहीं है. जयराम ने कहा कि देश के लोगों को भी भाजपा और संघ का एजेंडा समझ में आ गया है. भाजपा अपने शासनकाल के दौरान लगातार संविधान को कमजोर करने में लगी हुई है. लेकिन कांग्रेस संविधान की रक्षा के लिए मजबूत दीवार की तरह खड़ी है और संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है. संघ संविधान बनाने वाले बाबा साहेब अंबेडकर, नेहरू और अन्य लोगों के खिलाफ शुरू से मुहिम चलाती रही है. 

गौरतलब है कि संघ के महासचिव होसबोले ने आपातकाल के खिलाफ आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान के प्रस्तावना में बदलाव नहीं हो सकता है. लेकिन आपातकाल के दौरान संसद, न्यायपालिका और कार्यपालिका को पंगु बनाकर जबरन इन शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा गया. अब समय है कि इन शब्दों को प्रस्तावना से हटाया जाए. हाल के वर्षों में संविधान को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ा है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही है. वहीं सरकार का आरोप है कि कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए संविधान के साथ लगातार खिलवाड़ किया है.

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