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Cooperative: पूरे विश्व में सहकारिता का गढ़ बनेगा भारत

इस यूनिवर्सिटी से सहकारिता में भाई-भतीजावाद खत्म होगा, पारदर्शिता आएगी और सहकारी यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षण लेने वालों को रोजगार मिलेगा. 

Cooperative:ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में सहकारिता क्षेत्र का अहम योगदान है. सहकारी क्षेत्र में क्षमता निर्माण और ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए शनिवार को आणंद में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भूमि पूजन किया. 125 एकड़ में फैले और  500 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली देश के पहले त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की आधारशिला त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर रखी गयी है. इस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने में रह गई सभी कमियों को पूरा करने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है.

यह विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के मौके मुहैया कराने का काम करेगा. साथ ही इनोवेशन, क्षमता निर्माण और श्रेष्ठ कार्य-प्रणालियों को बढ़ावा देकर जमीनी स्तर पर सहकारी संस्थाओं को सशक्त और प्रशासन को बेहतर बनाने के साथ-साथ समावेशी एवं सतत ग्रामीण आर्थिक विकास को गति देने का काम करेगा. इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.

त्रिभुवन दास पटेल जी को सच्ची श्रद्धांजलि

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन सहकारिता क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी त्रिभुवन दास पटेल जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है. पारदर्शिता, जवाबदेही, अनुसंधान और सहकारी संघवाद की भावना के विकास के लिए स्थापित होने जा रही यूनिवर्सिटी के लिए सबसे उचित नाम ‘त्रिभुवनदास’ जी है. त्रिभुवन दास जी के ही विजन के कारण दुनियाभर की निजी डेयरियों के सामने देश की कोऑपरेटिव डेयरी सीना तानकर खड़ी है. चार साल पहले प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश के करोड़ों गरीबों और ग्रामीणों के जीवन में आशा का संचार करने और उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी.

सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद से पिछले 4 साल में सहकारिता मंत्रालय ने भारत में सहकारिता क्षेत्र के विकास, संवर्धन और समविकास के लिए 60 नई पहल की है. सभी पहल सहकारिता आंदोलन को चिरंजीव, पारदर्शी, लोकतांत्रिक बनाने, विकसित करने, सहकारिता के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ाने और सहकारिता आंदोलन में मातृशक्ति और युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए की गई. 

मेगा वैक्यूम को भरने का करेगी काम

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जिस मेगा वैक्यूम ने हमारे सहकारिता आंदोलन को सिकोड़कर रख दिया था उसे भरने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी जिसके कारण अब सहकारिता आंदोलन फलेगा, फूलेगा, आगे बढ़ेगा और भारत पूरे विश्व में सहकारिता का गढ़ बनेगा. त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी, यहां बनाई हुई नीतियां और अभ्यासक्रम, सहकारिता के आर्थिक मॉडल को एक जन आंदोलन में परिवर्तित करने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि सभी बड़ी सहकारी संस्थाओं के लिए योग्य कर्मचारी प्रदान करने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी.

शाह ने कहा कि हम कोऑपरेटिव टैक्सी लाना चाहते हैं, कोऑपरेटिव इंश्योरेंस कंपनी भी बनाना चाहते हैं तो हमें हर क्षेत्र के विशेष ज्ञान वाले अधिकारी, कर्मचारी और सहकारी नेता भी चाहिए. उन्होंने पूरे देश के सहकारिता क्षेत्र का आह्वान करते हुए कहा कि देशभर के सहकारिता प्रशिक्षण विशेषज्ञ इस यूनिवर्सिटी से जुड़ें और अपना योगदान दें. गृह मंत्री ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता में नीति निर्माण, डेटा विश्लेषण और देश के कोऑपरेटिव के विकास की 5 साल, 10 साल और 25 साल की रणनीति बनाने का काम करेगी. अनुसंधान को भी इस यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ा गया है. यह यूनिवर्सिटी सिर्फ सहकारी कर्मचारी तैयार नहीं करेगी बल्कि यहां से त्रिभुवन दास जी जैसे समर्पित सहकारी नेता भी निकलेंगे जो भविष्य में सहकारिता क्षेत्र का नेतृत्व करेंगे. 

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