Cyber Security: मौजूदा समय में साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गया है. आर्थिक, रक्षा और अन्य क्षेत्रों के सफल संचालन के लिए साइबर सुरक्षा का पुख्ता होना जरूरी है. साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं. लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद साइबर अपराध के मामलों में कमी नहीं आयी है. यही नहीं साइबर सुरक्षा सैन्य बलों की लिए भी काफी अहम हैं. मौजूदा समय में परंपरागत युद्ध की बजाय साइबर क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करना अहम हो गया है.
देश में साइबर सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सोमवार को राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास: भारत एनसीएक्स 2025 का आयोजन किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टीवी रविचंद्रन ने कहा कि शासन और स्वास्थ्य सेवा से लेकर ऊर्जा, परिवहन, रक्षा और सभी क्षेत्रों में हमारे डिजिटल बुनियादी ढांचे की साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, नागरिक विश्वास और सार्वजनिक सुरक्षा का आधार है. देश को व्यापक स्तर पर तैयारी करने की जरूरत है. साइबर सुरक्षा तंत्र को सशक्त बनाए बिना कोई देश आगे नहीं बढ़ सकता है.
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिमल एन पटेल ने कहा कि पिछले दो दशकों में साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की क्षमताएं साइबर सुरक्षा के एक सशक्त उपकरण के रूप में उभरी हैं. डिजिटल स्पेस शासन कला, प्रतिस्पर्धा और संघर्ष के एक नए क्षेत्र के रूप में विकसित हुआ है. इस व्यवस्था में राष्ट्र-राज्य और राज्य-प्रायोजित संस्थाएं शामिल हैं. साइबर हमलों को रोकने, साइबर खतरों के प्रति देश की संवेदनशीलता को कम करने और घटनाओं के घटित होने पर न्यूनतम प्रभाव के साथ त्वरित कदम उठाने की तैयारी करनी होगी.
देश को मजबूत बनाने के लिए मजबूत साइबर तंत्र का होना जरूरी
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) द्वारा राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के सहयोग से आयोजित इस आयोजन का मकसद देश की साइबर सुरक्षा स्थिति को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाना है. भारत एनसीएक्स 2025 देशभर के साइबर सुरक्षा पेशेवरों, नीति निर्माताओं, सुरक्षाकर्मियों और उद्योग जगत के दिग्गजों को दो सप्ताह का अनुभव प्रदान करने का काम करेगा. ताकि वास्तविक दुनिया की साइबर घटनाओं से निपटने में सक्षम हो सके.
ताकि देश में साइबर हमले, डीपफेक हेरफेर, स्वायत्त मैलवेयर प्रतिक्रिया और एपीआई सुरक्षा उल्लंघन को रोकने का व्यापक तंत्र विकसित हो सके. कार्यक्रम का मकसद साइबर सुरक्षा पर एक व्यापक शिक्षण वातावरण मुहैया कराना है, जिसमें लाइव-फायर सिमुलेशन शामिल हैं जो आईटी और परिचालन प्रौद्योगिकी (ओटी) दोनों प्रणालियों पर वास्तविक दुनिया के हमलों के प्रति आगाह कर सके. यह आयोजन 21 जुलाई से 1 अगस्त, 2025 तक चलेगा, जिसका समापन एक संयुक्त डीब्रीफिंग सत्र में होगा जिसमें प्रमुख विषयों को शामिल कर भावी रणनीति तैयार होगी.