Defense: भारतीय नौसेना की ताकत में और इजाफा हुआ है. शुक्रवार को स्वदेशी से निर्मित डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू शिप आईएनएस निस्तार को नौसेना में शामिल किया गया है. हिंदुस्तान शिपयार्ड द्वारा मेक इन इंडिया पहल के तहत बनाया गया यह अत्याधुनिक डाइविंग सपोर्ट वेसल में 80 फीसदी स्वदेशी तकनीक और उपकरण है. यह 650 मीटर की गहराई से पनडुब्बियों को बचाने में सक्षम है और इसमें 200 से अधिक नौ सैनिक तैनात किए जा सकते हैं और यह लगातार 60 दिनों तक समुद्री अभियान चलाने में सक्षम है. मौजूदा समय में दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के पास ही ऐसी सुविधा उपलब्ध है.
आईएनएस निस्तार 118 मीटर लंबा और 10 हजार टन वजनी है. समुद्र के अंदर भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाने में मददगार होगा. इसमें आधुनिक डाइविंग उपकरण जैसे रिमोट से संचालित व्हीकल, सेल्फ प्रोपेल्ड हाइपरबेरिक लाइफ बोट, डाइविंग कंप्रेशन चैंबर मौजूद है. यह समुद्र के 300 मीटर नीचे राहत अभियान चला सकता है. अगर कोई सबमरीन किसी आपात स्थिति में फंस जाए तो उस पर मौजूद कर्मियों काे बचाने में आईएनएस निस्तार उपयोगी साबित होगा.
युद्धपोत के निर्माण में स्वदेशी तकनीक को मिल रहा है बढ़ावा
आईएनएस निस्तार को नौसेना को सौंपे जाने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने कहा कि देश में युद्धपोत का निर्माण करने वाली कंपनियां लगातार अपनी क्षमता का विकास कर रहे है और इसके निर्माण में स्वदेशी तकनीक और उपकरण का व्यापक पैमाने पर प्रयोग किया जा रहा है. आईएनएस निस्तार नौसेना को पहली प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाएगी और क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने का काम करेगी. आत्मनिर्भर भारत के तहत सरकार जहाज बनाने वाली कंपनियों को स्वदेशी तौर पर सशक्त बनाने का काम कर रही है.
मौजूदा समय में 57 नये युद्धपोत बनाने का काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि देश की सेना की क्षमता पर पूरा भराेसा है. भारतीय सेना दुश्मन के हर हरकत का जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है. आईएनएस निस्तार युद्धपोत के निर्माण में भारत की तकनीकी क्षमता और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने का काम करेगी. वहीं नौसेना प्रमुख दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आईएनएस निस्तार से नौसेना की ऑपरेशनल क्षमता में इजाफा होगा.