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दिल्ली की अदालत ने कहा, तिहाड़ में सत्येंद्र जैन के इलाज में कमी नहीं, नियमित भोजन नहीं करने से घटा वजन

विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने कहा कि वजन घटने का कारण सत्येंद्र जैन का नियमित भोजन नहीं करना है और इसके लिए जेल प्रशासन जिम्मेदार नहीं है. अदालत ने कहा कि डीजी (जेल) और तिहाड़ जेल के अधीक्षक को आवेदक सत्येंद्र कुमार जैन को फल, सब्जियां और सूखे मेवे उपलब्ध कराने के निर्देश देने का कोई आधार नहीं है.

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कहा कि तिहाड़ जेल में सत्येंद्र जैन के इलाज में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है. अदालत ने कहा कि सत्येंद्र जैन का वजह नियमित भोजन नहीं करने से घट रहा है. अदालत ने शनिवार को जेल में बंद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विशेष भोजन करने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि तिहाड़ जेल के रिकॉर्ड प्रथम दृष्टया यह दर्शाते हैं कि उसके अधिकारी डीपीआर 2018 के उल्लंघन में दिल्ली सरकार के मंत्री होने के नाते सत्येंद्र जैन को फल और सब्जियां उपलब्ध कराकर उन्हें तरजीह दे रहे थे.

वजट घटने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन जिम्मेदार नहीं

अपनी याचिका में सत्येंद्र जैन ने दावा किया कि तिहाड़ में उनका वजह 28 किलो घट गया है. विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने शनिवार को कहा कि वजन घटने का कारण सत्येंद्र जैन का नियमित भोजन नहीं करना है और इसके लिए तिहाड़ जेल प्रशासन जिम्मेदार नहीं है. अदालत ने कहा कि डीजी (जेल) और तिहाड़ जेल के अधीक्षक को आवेदक सत्येंद्र कुमार जैन को फल, सब्जियां और सूखे मेवे उपलब्ध कराने के निर्देश देने का कोई आधार नहीं है. इसलिए उनका आवेदन खारिज किया जाता है.

धार्मिक उपवास के लिए जेल प्रशासन की अनुमति जरूरी

विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने यह भी कहा, ‘मैं यह देखना चाहता हूं कि जब भी आवेदक अपने धर्म के अनुसार धार्मिक उपवास रखने की इच्छा जाहिर की, तो वह जेल प्रशासन को लिखित रूप में इसके बारे में सूचित करेगा और उसके बाद जेल प्रशासन डीपीआर 2018 के नियम 1142 को ध्यान में रखते हुए आवेदक के अनुरोध पर निर्णय करेगा. उन्होंने कहा कि यदि आवेदक को धार्मिक उपवास रखने की अनुमति दी जाती है, तो उसे सरकार के आदेश के अनुसार अनुमत खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी. डीपीआर 2018 का नियम 341 11 नवंबर, 2022 के चिकित्सा अधिकारी की सलाह में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं बनता है. सत्येंद्र जैन के सूखे मेवा उपलब्ध कराने से रोकते हुए अदालत ने कहा कि चिकित्सा अधिकारी सबसे अच्छे व्यक्ति हैं, जो कैदियों या कैदियों के स्वास्थ्य की जांच करने के बाद निर्धारित आहार की सलाह दे सकते हैं.

तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने पहले वाला इलाज किया बंद

अदालत ने आगे कहा कि तथ्य यह भी है कि सत्येंद्र जैन अब जेल कैंटीन से फल और सब्जियां खरीद रहे हैं. 3 नवंबर, 2022, तिहाड़ जेल प्रशासन द्वारा रिकॉर्ड पर दर्ज किए गए बिलों के अनुसार और तिहाड़ जेल प्रशासन के अधिकारियों के निलंबन या स्थानांतरण के बाद यह आवेदन दायर किया गया है, जो प्रथम दृष्टया यह बताता है कि तिहाड़ जेल के मौजूदा अधिकारियों ने डीपीआर 2018 का उल्लंघन करते हुए उस प्रकार का इलाज करना बंद कर दिया है. जो आवेदक को पहले दिया जा रहा था.

जेल में सभी कैदियों को दिया जाता है संतुलित और पौष्टिक आहार

तिहाड़ के वकील अभिजीत शंकर ने बहस के दौरान स्पष्ट किया कि जेलों में एक कैदी को सूखे मेवे देने की अनुमति नहीं है और इसे नियमित भोजन के विकल्प के रूप में भी नहीं लिया जा सकता है. हालांकि, यदि चिकित्सा अधिकारी द्वारा ऐसी परिस्थितियों में पूरक के रूप में एक निश्चित अवधि के लिए सूखे मेवे देने की सलाह दी जाती है, तो ऐसे कैदियों के लिए सीमित समय के लिए इसकी अनुमति दी जा सकती है. तिहाड़ जेल प्राधिकरण ने अपने जवाब में कहा कि हमारा प्रशासन जाति, पंथ, लिंग आदि के आधार पर किसी भी भेदभाव के बावजूद दिल्ली की जेलों में बंद सभी कैदियों को समान रूप से संतुलित और पौष्टिक आहार की आपूर्ति करता है.

धार्मिक उपवास पर रहे सत्येंद्र जैन

अदालत ने पहले तिहाड़ से यह भी रिपोर्ट मांगी थी कि पिछले छह महीनों में सत्येंद्र कुमार जैन को क्या खाना दिया जा रहा था, क्या वह पिछले 5-6 महीनों के दौरान धार्मिक उपवास पर थे और क्या आहार, जो उसे दिया जा रहा था, पिछले 10-12 दिनों के दौरान बंद कर दिया गया है या नहीं. तिहाड़ ने आगे कहा कि जेल प्रशासन से किसी कैदी को विशेष उपचार देने की उम्मीद करना भी गलत है क्योंकि जेल विभाग सभी कैदियों को जाति, पंथ, धर्म आदि के भेदभाव के बिना पोषण और संतुलित आहार प्रदान करता है.

क्या जेल में धार्मिक उपवास करने पर रोक है?

दूसरी ओर, वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा तिहाड़ के जवाब को पढ़ने के बाद सत्येंद्र जैन की ओर से पेश हुए और उन्होंने कहा कि वे (जेल प्रशासन) किस प्रावधान के तहत कहते हैं कि मैं अनिश्चितकालीन उपवास के लिए अनुमति नहीं दी जा सकती? हम एक ऐसे देश में हैं, जहां हर कोई अपना खुद के धार्मिक उपवास करने के लिए स्वतंत्र है. वास्तव में मुझे मेरे धर्म को मानने से कोई नहीं रोक सकता. मुझे जेल में बुनियादी भोजन भी नहीं मिल रहा है, क्या मेरे मानवाधिकार भी छीन लिए गए हैं?

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किसी विशेषाधिकार की बात कर रही ईडी

इससे पहले, राहुल मेहरा ने भी तिहाड़ जेल में जैन को विशेषाधिकार प्राप्त इलाज के ईडी के आरोपों से इनकार किया. उन्होंने पूछा कि वे (ईडी) किस विशेषाधिकार की बात कर रहे हैं? जेल में मेरान वजन 28 किलो घट गया है. क्या जेल में एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति को यही मिलता है? यहां तक ​​कि मुझे उचित भोजन भी नहीं मिल रहा है. वे किस विशेषाधिकार की बात कर रहे हैं? अगर कोई विचाराधीन कैदी अपना हाथ या पैर दबा रहा है, तो जेल के नियमों का उल्लंघन नहीं होता है.

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हलफनामे के बावजूद ईडी ने वीडियो किया लीक

राहुल मेहरा ने कहा कि उन्होंने पहले यह भी कहा था कि उन्होंने (एजेंसियों ने) मुझे पहले ही फांसी पर चढ़ा दिया था. देश में अजमल कसाब की भी स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई हुई थी. मैं निश्चित रूप से इससे बुरा नहीं हूं. मैं केवल एक निष्पक्ष और नि:शुल्क परीक्षण चाहता हूं. यह भी देखा जाए कि मेरे खिलाफ मीडिया में किस तरह की रिपोर्ट चल रही है और यह उनके हित में है. उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी ने कोर्ट में हलफनामा देने के बावजूद सीसीटीवी वीडियो लीक किया है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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