Delimitation Row: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने शनिवार को परिसीमन मामल पर विपक्ष की बैठक बुलाई. इस बैठक में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने शनिवार को जनसंख्या आधारित परिसीमन पर अपना विरोध दोहराते हुए कहा कि अगर यह प्रक्रिया अपनाई गई तो दक्षिण भारत ‘अपनी राजनीतिक आवाज खो देगा.’
चेन्नई में परिसीमन पर संयुक्त कार्रवाई समिति की बैठक में रेड्डी के हवाले से कहा, “जनसंख्या आधारित परिसीमन के मामले में, “उत्तर हमें दोयम दर्जे का नागरिक बना देगा. अगर भाजपा जनसंख्या के आधार पर परिसीमन करती है, तो दक्षिण भारत अपनी राजनीतिक आवाज खो देगा. दक्षिण जनसंख्या आधारित परिसीमन को स्वीकार नहीं करेगा.’
केंद्र सरकार पर बरसे रेवंत रेड्डी
रेड्डी ने कहा, “हमारे सामने देश की एक बड़ी चुनौती है, भाजपा जनसांख्यिकी दंड की नीति लागू कर रही है. 1971 से, जब भारत ने राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में परिवार नियोजन को अपनाने का फैसला किया, तब से दक्षिण भारत ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन उत्तर भारत के बड़े राज्य इसमें विफल रहे हैं.’
रेवंत रेड्डी ने भेदभाव का लगाया आरोप
उन्होंने कहा, “हमने (दक्षिण भारत) सबसे तेज़ आर्थिक विकास, उच्च जीडीपी, उच्च प्रति व्यक्ति आय, अधिक रोजगार सृजन, बेहतर विकास और सर्वोत्तम सामाजिक कल्याण हासिल किया है. तमिलनाडु द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक ₹ 1 कर के लिए, उसे 6 पैसे वापस मिलते हैं, इसी तरह कर्नाटक 16 पैसे, तेलंगाना 42 पैसे, केरल 49 पैसे. लेकिन जब बिहार ₹ 1 कर देता है, तो उसे ₹ 6.6, यूपी को ₹ 2.2, मध्य प्रदेश को ₹ 1.73 वापस मिलते हैं. हम एक देश हैं और हम इसका सम्मान करते हैं, लेकिन हम इस प्रस्तावित परिसीमन को स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि यह हमें राजनीतिक रूप से सीमित कर देगा.’
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