Drug Free Society: देश के युवाओं की भागीदारी के बिना विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करना संभव नहीं है. केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को ‘विकसित भारत के लिए नशामुक्त युवा’ विषय पर ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’ कराने का फैसला लिया है. इसका मकसद देश की युवा शक्ति को सशक्त बनाना और नशामुक्त समाज को बढ़ावा देना है. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि युवा अमृत काल के पथप्रदर्शक हैं, विकसित भारत का मार्ग हैं.
भारत की 65 फीसदी से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु वर्ग की है, जिनकी औसत आयु सिर्फ 28 वर्ष है. यही युवा राष्ट्रीय विकास की प्रेरक शक्ति बन सकते हैं, अगर उन्हें सही मार्गदर्शन मिले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा है और युवा पीढ़ी को लक्ष्य हासिल करने में सिर्फ लाभार्थी के तौर पर नहीं बल्कि भारत को आकार देने वाले परिवर्तनकर्ताओं के रूप में भी आगे बढ़कर नेतृत्व करना होगा.
मंडाविया ने कहा कि मौजूदा समय में मादक द्रव्यों का सेवन युवाओं के सामने सबसे गंभीर खतरों में से एक बना हुआ है. नशे की लत युवाओं के विकास में बड़ी बाधा बन रही है और यह देश के विकास के लिए भी चुनौती है. इस गंभीर चिंता को देखते हुए भारत सरकार ने स्वयंसेवी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और आध्यात्मिक संगठनों के साथ मिलकर एक समग्र, समावेशी और भविष्योन्मुखी नशा-विरोधी अभियान शुरू करने का फैसला लिया है.
नशे के खिलाफ चलेगा जन आंदोलन
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके लिए वाराणसी में गंगा नदी के पवित्र घाट तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया जायेगा, जिसमें 100 आध्यात्मिक संगठनों की युवा शाखाओं से आए 500 युवा प्रतिनिधि आत्मचिंतन, विचार-विमर्श और नशा उन्मूलन के लिए रणनीति बनाने का काम करेंगे. यह शिखर सम्मेलन एक व्यापक जन आंदोलन का रास्ता तैयार करेगा ताकि नशे के स्रोतों की पहचान की जा सके, उन्हें जड़ से खत्म किया जा सके और एक नशामुक्त भारत का निर्माण हो सके.
शिखर सम्मेलन के समापन पर ऐतिहासिक काशी घोषणा पत्र का अनावरण किया जाएगा, जिसमें सामूहिक संकल्प को समाहित किया जाएगा और नशामुक्त समाज के निर्माण के लिए राष्ट्रीय रोडमैप प्रस्तुत किया जाएगा. शिखर सम्मेलन के चार सत्र में नशे की लत को समझना और युवाओं पर इसका प्रभाव, नशा तस्करों के नेटवर्क और व्यावसायिक हितों को ध्वस्त करना, प्रभावी अभियान और पहुंच के अलावा वर्ष 2047 तक नशा मुक्त भारत के लिए एक व्यापक प्रतिबद्धता तैयार करना है.
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